🙏 जय श्री माधव 🙏
आज सारा विश्व देख रहा है धरती एक बड़े परिवर्तन की ओर जा रही है । परिवर्तन ऐसा है जिसमें मानव सभ्यता के लिए बहुत सारी आपदाएं और मुसीबतें आ रही हैं । इस परिवर्तन का कारण युग परिवर्तन हो चुका है।
अब
सत्ययुग
आने वाला है । युग संधि के समय पर ऐसा होता है । जिस कारण से आज धरती पर ऐसा समय आ रहा है । इस समय पर मानव लोगों के उद्धार के लिए उड़ीसा की अति पावन जगन्नाथ संस्कृति की परंपरा में एक अक्षय ग्रंथ की रचना हुई।
सारे विश्व में जितने भी धर्म हैं , जितने भी पंथ हैं कहीं पर भी कोई ऐसा ग्रंथ नहीं है जिसमें मानव सभ्यता के उद्धार धरती पर मानव सभ्यता की सुरक्षा के लिए कोई रचना की गई हो।
इस पवित्र
ग्रंथ
में मानव सभ्यता की सुरक्षा तथा उद्धार और भगवान कल्कि को प्राप्त करने के लिए जो सनातन धर्म का परम तत्व है उसकी रचना की गई है।
भविष्य मालिका ग्रंथ
सनातन धर्म का आखिर और अंतिम शास्त्र है जिसकी रचना उड़ीसा की अति पावन भूमि में भगवान के नित्य पंचसखा द्वारा की गई । इसकी हिंदी, अंग्रेज़ी तथा भारत और विश्व की कई भाषाओं में रचना उड़ीसा के विद्वान परम पूज्य पंडित श्री काशीनाथ मिश्र जी के द्वारा की गई ।
अगर मानव सभ्यता अपना उद्धार चाहती है और आगे बढ़ना चाहती है तो
भविष्य मालिका ग्रंथ
को जरूर पढ़ें और इस ग्रंथ का परम तत्व मानव सभ्यता के कल्याण के लिए बांटें।
जिससे मानव सभ्यता एक सुंदर, पवित्र, शुद्ध, शक्तिशाली, सनातन मानव सभ्यता बन पाए । और मानव सभ्यता का आने वाली आपदाओं से उद्धार हो पाए।
यही
भविष्य मालिका ग्रंथ
का सबसे बड़ा परम तत्व है और इस तत्व को मानव सभ्यता को अनुसरण करना चाहिए। समय और अधिक नहीं है इसी समय पर यह परम तत्व का अनुसरण करना बहुत जरूरी है।
भविष्य मालिका एक ग्रंथ है, जो लगभग 600 वर्ष पहले लिखा गया था। यह सत्य युग में परिवर्तन और उस समय होने वाली सभी घटनाओं की भविष्यवाणी करता है, जैसे तीसरा विश्व युद्ध, 64 प्रकार की महामारियाँ, भीषण आग, सौर तूफान, सात दिनों का अंधकार, कलियुग के अंत के संकेत (जगन्नाथ मंदिर से), आर्थिक मंदी और प्राकृतिक आपदाएँ। अधिक जानकारी के लिए, वेबसाइट पर उपलब्ध लेख पढ़ें।
भविष्य मालिका को पंचसखाओं पाँच संतों ने लगभग 600 वर्ष पहले ओडिशा की पवित्र भूमि में भगवान जगन्नाथ की दिव्य प्रेरणा से लिखा था। उन्होंने कलियुग के अंत और सत्य युग में परिवर्तन की भविष्यवाणी की थी।
विभिन्न शास्त्रों के अनुसार, मनुष्यों के बहुत पाप करने के कारण 5,000 वर्षों के बाद कलियुग का अंत हो चुका है। वर्तमान समय एक परिवर्तन का समय है, जो सत्य युग में बदलाव की प्रक्रिया में है, और सत्य युग 2032 से प्रारंभ होगा।
शास्त्रों के अनुसार, जब कोई व्यक्ति बहुत अधिक पाप करता है, तो उसकी आयु घट जाती है। उसी प्रकार, मनुष्यों के असंख्य पापों के कारण कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्षों से घटकर केवल 5,000 वर्ष रह गई और उसका अंत हो चुका है।
यदि विनाश निश्चित है, फिर भी हमें अपना कर्म करना नहीं छोड़ना चाहिए। भागवत में लिखा है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए और अपने सभी कर्म भगवान के चरणों में समर्पित करना चाहिए। सर्वोत्तम यही है कि हम उनके नाम का स्मरण करते हुए अपने सभी कर्म करते रहें और उन्हें भगवान के चरणों में अर्पित करें।
सबसे पहले हमें मांसाहार, शराब और अन्य नशों जैसी बुरी आदतें छोड़नी होंगी और गलत कर्मों से बचना होगा। उसके बाद, सनातन धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए और भविष्य मालिका में बताए गए मार्ग का पालन करना आवश्यक है।
आने वाले कठिन समय से बचने के लिए त्रिसंध्या मार्ग अपनाएं—दिए गए मंत्रों (त्रिकाल संध्या मंत्र) के साथ दिन में तीन बार भगवान की उपासना करें। साथ ही, श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ करें और नियमित रूप से "माधव" नाम का जप करें। ये साधना भक्ति को मजबूत करती है और हमारी रक्षा करती है।
सभी विवरण यहाँ से डाउनलोड करें - त्रिकाल संध्या
भविष्य मालिका पुराण से पृष्ठ हिंदी, अंग्रेजी, रूसी, जर्मन, जापानी, गुजराती, कन्नड़, बंगाली, तेलुगु और पंजाबी में भविष्य मालिका PDF डाउनलोड कर सकते हैं। आप यहाँ से प्रिंटेड कॉपी खरीदने के लिंक भी पा सकते हैं, और ऑडियोबुक भी कई भाषाओं में मुफ्त उपलब्ध है।
डाउनलोड करें: भविष्य मालिका PDF
वर्ष 2025 विश्व के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण होने वाला है। 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा, जिसे एक महत्वपूर्ण घटना माना गया है और यह दुनिया में कई बड़े परिवर्तन लाएगा।
अधिक जानें: भविष्य मालिका 2025 की भविष्यवाणियाँ
सत्य युग में केवल वे ही रहेंगे जो धर्म का पालन करेंगे, और सभी भक्त होंगे। स्वयं भगवान युग पर राज करेंगे, और किसी भी चीज़ की कमी नहीं होगी। सभी लोग शांति और आनंद से जीवन व्यतीत करेंगे। पृथ्वी पूरी तरह संतुलित होगी, जहाँ प्राकृतिक आपदाएँ, कठोर मौसम या किसी प्रकार का कष्ट नहीं होगा। हमेशा वसंत ऋतु बनी रहेगी, और जो 64 करोड़ लोग धर्म के सही मार्ग पर चलेंगे, वे सत्य युग में जाएँगे।
- हिन्दी, अंग्रेजी सहित अन्य 13 भाषाओं में भी उपलब्ध
Available on Amazon, Flipkart, Google Play Books (Free)
पंच सखाओं ने स्वयं भगवान जगन्नाथ जी के निर्देश पर
कलियुग के अंत
और सत्ययुग की शुरुआत के विषय में लाखों ग्रंथों के समूह की रचना की और इन्हें भगवान जगन्नाथ जी के निर्देश पर अति गुप्त रखा गया ताकि लोगों को समय से पहले इसका ज्ञान होने पर संसार में अव्यवस्थता ना फैल जाए। इस अति गुप्त ग्रंथ
भविष्य मालिका पुराण
में कलियुग के अंत और भगवान कल्कि के प्राकट्य के विषय में रहस्यमय जानकारी दी गई है तथा सत्ययुग की शुरुआत कैसे होगी इस विषय में भी विस्तृत रूप से वर्णन किया गया है
भविष्य मालिका पुराण ग्रन्थ
में मुख्य रूप से भगवान श्री कल्कि जी के धरा अवतरण, भक्तों का एकत्रीकरण, सुधर्मा महा-महा संघ और 16 मंडल का गठन, खंड प्रलय, अग्नि प्रलय, जल प्रलय, भूकंप, रोग महामारी एवं तृतीय विश्व युद्ध से लेकर अनंत युग / आद्य सतयुग के आगमन तक का संपूर्ण वर्णन किया गया है।
भविष्य मालिका पुराण
के अनुसार सन् 2032 से पूर्व संपूर्ण विश्व में सभी धर्मों और पंथों का पुनर्गठन होकर सारे विश्व में केवल सत्य सनातन धर्म प्रतिष्ठित होगा और 2032 से सत्ययुग की शुरुआत होगी। ।
सनातन संस्कृति के अनुसार तीन संध्या काल पर ब्रह्मांड की उत्पत्ति तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए भगवान महाविष्णु की स्तुति तथा उनको धन्यवाद किया जाता है। सतयुग, त्रेतायुग व द्वापरयुग में त्रिकाल संध्या प्रत्येक व्यक्ति के दिनचर्या का एक अभिन्न अंग था। कलियुग के घोर प्रभाव के कारण सनातन संस्कृति का विलोप होता चला गया तथा मनुष्य के दैनिक कर्म और त्रिसंध्या धारा का लोप हो गया। पुनः महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने भविष्य मालिका में कली कलमष से उद्धार तथा सत्ययुग में जाने के लिए त्रिसंध्या धारा को बहुत महत्वपूर्ण तथा सभी मानव के कल्याण लिए जरूरी बताया है।
Know More1 - बात मानना सीखिए
2 - प्रतीक्षा करना सीखिए
3 - प्रेम करना सीखिए
4 - इन्दिर्यों से उपवास करना सीखिए
प्रातः - 3:35 AM से 6:30 AM
दोपहर - 11:30 AM से 12:30 PM
सायं - 5:30 PM से 6:30 PM
नोट - अन्य भाषाओँ व जानकारी के लिए Know More पर क्लिक करें
यदि मैं सातों समुद्रों के जल की स्याही बना लूँ तथा समस्त वन समूहों की लेखनी कर लूँ, तथा सारी पृथ्वी ...
शास्त्रों में काल की गणना निम्न प्रकार से की गई है :- ...
श्रीमद् भागवत महापुराण (8.14.2) श्री शुकदेव जी कहते हैं- परीक्षित् ! मनु, ...
जब जब भगवान खुद की इच्छा से धर्म संस्थापना के लिए धरा अवतरण करते हैं, तब तब उनके आने स...
जब देवताओं से दैत्य राजा बलि ने स्वर्ग छीन लिया था उस समय अपने पति कश्यप जी के कहने से माता अदिति ने...
नहीं महापुरुष अच्युतानंद दास जी लिखते हैं भविष्य मलिका केवल भक्तों के उद्धार के लिए लिखी गई है।अर...
समय-समय पर भगवान के निर्देश से विभिन्न धर्म ग्रंथो की रचना मानव सभ्यता के कल्याण के लिए की जाती है। ...
जब भी भगवान मनुष्य शरीर धारण कर धर्म संस्थापना के लिए धरा धाम पर आते हैं, तब इस बात का पता केवल कुछ ...
महात्मा पंचसखाओं ने भविष्य मालिका की रचना भगवान निराकार के निर्देश से की थी। भविष्य मालिका म...
कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है या बाल्यावस्था में है और कलयुग की आयु 432 000 ऐसा पंडितों, कथाकारो और ...
जिस समय चंद्रमा सूर्य और बृहस्पति एक ही समय, एक ही साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश करके एक ...
जिस प्रकार भगवान ने वेदों को चतुष्पाद बनाया है उसी प्रकार ब्रह्माजी ने भी प्रत्येक युग को चार पादों ...
इस श्लोक के अनुसार स्पष्ट रूप से सिद्ध होता है कि सूर्य सिद्धांत में सौर वर्ष को ही दिव्य वर्ष माना ...
अर्थात कलियुग के 4000 वर्ष भोग होने के बाद, इसके संध्या समय के 400 वर्ष बाद, भगवान महाविष्णु (श्री...
माँ लक्ष्मी, सरस्वती और गंगा को आपस में शाप के कारण पृथ्वी पे अवतीर्ण होना...
है बालक मैं तेरी अवस्था के 100 वर्ष को हजार वर्ष हजार वर्षों को दो युग दो युगों को तीन युग और तीन यु...
- महाभारत वन पर्व (188. 29-64) (190. 1-88) - श्रीमद् भागवत महापुराण (12.2...
यहां पर शुकदेव महामुनी महाराजा परीक्षित को आने वाले सात मन्वंतरों के मनु, सप्तर्षी, देवता तथा इंद्र ...
देवता, असुर, मनुष्य अथवा और कोई भी प्राणी अपने, पराये अथवा दोनों के लिये जो प्रारब्ध का विधान है, उस...
पद्मपुराण उत्तरखंड और श्रीमद् भगवद् महात्म्य भक्ति नारद संवाद पहला अध्याय जब भगवान श्री कृष्ण जी ने ...
भगवान स्पष्ट रूप से कहते हैं यह सनातन धर्म मेरा ही रूप है। ...
वेद सनातन संस्कृति के परम शास्वत ग्रंथ हैं। जो सं...
श्रृष्टि की उत्पति से अब तक भगवान के अनेकों अवतार हो चुके हैं। ...
वेदों का विभाग, महाभारत महाकाव्य ग्रंथ की रचना और अष्टादश पुराण की रचना करने के बाद भी जब महर्षि वेद...
वेदों का विभाग, अष्टादस पुराण की रचना करने के बाद भी महर्षि वेदव्यास जी का मन कुछ उदास सा था। ...
श्रृष्टि को सुचारु रूप से संचालन के लिए वर्ण व्यवस्था बनाई गई।श्रीमद् भागवत महापुराण (11.17.10) इस ब...
मुक्ति अथवा परम गति का अर्थ है जीव चक्र बंधन से मुक्त होकर एक अमर शरीर को प्राप्त करना। प्रत्येक जीव...
श्रीमद् भागवत महापुराण ( 1.2.5-11) भगवत्कथा और भगवद्भक्तिका माहात्म्य ...
सनातन संस्कृति के अनुसार तीन संध्या काल पर ब्रह्मांड की उत्पत्ति तथा स्थिति को नियंत्रित करने के लिए...
त्रिकाल संध्या में मुख्यतः भगवान महाविष्णु तथा मां महालक्ष्मी की स्तुति की जाती है। ...
गायत्री मंत्र :-वेद और सनातन शास्त्रों के अनुसार गायत्री मंत्र की रचना गायत्री माता के द्वारा संसार ...
भगवान महाविष्णु जी के धर्म संस्थापना के 16 नाम चतुर्युग के अवतारों के सबसे महत्वपूर्ण 16 अवतारों के ...
भगवान महाविष्णु जी ने चारों युगों में महत्वपूर्ण 24 अवतार धारण करके धरती माता का उद्धार किया था । ...
दुर्गा माधव स्तुति :-परम कृपामयी जगतजननी माँ दुर्गा और परम कृपामय माधव का जय हो। जिन दुर्गा की सेवा ...
भगवान माधव (कल्कि राम) के 108 नाम भजनइस समय कलियुग को 5128 साल चल रहा है। ...
भगवान शंकर माता पार्वती को कहते हैं :- सम्पूर्ण ज...
चक्रपाणि भगवान् की शक्ति और पराक्रम अनन्त है- उनकी कोई थाह नहीं। वे सारे जगत् के निर्माता होने पर ...
जैसे अनजान मनुष्य जादूगर अथवा नट के संकल्प और वचनों से की हुई करामात को नहीं समझ पाता, वैसे ही अपने ...
सत्ययुग में मनुष्य अपने तपोबल का दुरुपयोग तथा तपोवल से श्राप देने के कारण सत्ययुग अपनी संपूर्ण आयु क...