
आपने पहले कहा था कि यदि लोग सुधर जाएँ तो सत्ययुग नहीं आएगा। लेकिन अब आप कह रहे हैं कि भगवान धरती पर अवतार ले चुके हैं। ऐसे में यदि लोग सचमुच सुधर जाते हैं, तो क्या भगवान का अवतरण व्यर्थ नहीं हो जाएगा?
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8 Jun 2025
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1 months ago
“परम् पूज्यनीय पंडित श्री काशीनाथ मिश्र” जी ने अपने पॉडकास्ट में स्पष्ट रूप से बताया है कि मनुष्य सुधरे या न सुधरे, इसका भगवान के अवतार लेने से सीधा संबंध नहीं है। जो कुछ भी ‘भविष्य मालिका’ में लिखा गया है, वह सब ब्रह्मवाणी है और वह अवश्य ही सत्य होकर प्रकट होगी।
प्रभु जब भी अवतार लेते है,तो उनका उद्देश्य होता है धर्म की पुनः स्थापना करना। इस प्रक्रिया में जो अधर्मी होते है, उन्हें दंड अवश्य मिलता है। यह दंड प्रकट का एक अंश हो सकता है – जैसे कि वैश्विक महामारियां, भूकंप, जल प्रलय, अग्नि प्रलय, सामाजिक हिंसा आदिl परन्तु यह एक प्रकार से अवसर भी होता है कि मनुष्य सुधर कर धर्म की ओर लौट आए। जो व्यक्ति सच्चे मन से धर्म में आना चाहते हैं और प्रभु की कृपा पाना चाहते है –प्रभु विशेष रूप से उनके लिए ही अवतार लेते है। उनका कोई भी अवतार व्यर्थ नहीं जाता।
भविष्य मालिका भक्तों के लिए ही लिखी गयी है। कलियुग के प्रभाव से भक्त भी भटके हुए हैं। उन्हें जागृत करने के लिए ही संत अच्युतानंद दास जी ने भविष्य मालिका की रचना की है।
और जो भक्त होंगे वे बिना किसी तर्क के इसे स्वीकार कर लेंगे ।
भगवान का अवतार कभी व्यर्थ नहीं होता। जो भक्त नहीं हैं वे कभी भी भगवान की चेतावनी को नहीं मानेंगे ।
जैसे स्वयं भगवान ने दुर्योधन को और उनके पक्ष के लोंगो को बहुत समझाया धर्म में आने के लिए लेकिन उन्होने प्रभु की वाणी को स्वीकार नहीं किया ।
वैसे ही जो मलेच्छ और अधर्मी होंगे वे भी प्रभु की इस वाणी को नहीं स्वीकार करेंगे।
मालिका में ये भी लिखा गया है कि भविष्य मालिका सिर्फ भक्तों के लिए है। वे प्रभु के आगमन को बिना किसी तर्क-वितर्क और सहर्ष स्वीकार करेंगे।
मालिका के कुछ श्लोकों में भक्त और भगवान का वर्णन है।
“संसार मध्यरे केमन्त जानिबी नरअंगे देहबही।गता गत जे जुगरे मिलन समस्तंक जणको नाही”॥- भविष्य मालिका पुराण
केवल भक्ति के द्वारा ही भक्तो को अनुभव होगा। सभी भक्त जान पायेंगे कि माधब महाप्रभु ही भगवान मधुसूदन है। सभी लोगों को भगवान की प्राप्ति नही होगी। जो हर युग में भगवान के धरावतरण से पहले धरती पर जन्म लेते हैं , वही भक्तजन निःस्वार्थ भाव से श्री भगवान की शरण में आयेंगे।
“कोटि के गोटिये जाहन्ति सेरस सहस्त्र गणासही।महिमा प्रकाश निश्चय रामदास आनेमो कोहून्ति नाही”॥- भविष्य मालिका पुराण
एक करोड़ लोगों में केवल एक भक्त ऐसा होगा जिसे श्री भगवान की अनुभूति होगी और उनके हृदय में इस बात का विश्वास होगा कि हमारे तारणहार भगवान श्री हरि ने धरावतरण कर लिया है हमें प्रभु की शरण में हर हाल में जाना है ऐसी दृढ़ता उनके भीतर स्वयं प्रकट होगी।