आज से 600 वर्ष पूर्व भगवान महाविष्णु के नित्य पंचसखाओं के द्वारा भविष्य मालिका की रचना और सतयुग के प्रारंभ और आगमन के बारे में भविष्य मालिका में स्पष्ट वर्णन है। कलियुग के अंत के पश्चात, भगवान कल्कि दुष्टों का विनाश और सतयुग का प्रारंभ करके इस धरती को पवित्र बनाएंगे जहां केवल पवित्रता ही होगी।
भविष्य मालिका के अनुसार कलयुग अंत में एक-एक घटना व गतिविधि महाप्रभु की इच्छा तथा अनुमति से ही होगी यह अवधि कलयुग से सत्य युग तक के संपूर्ण रूपांतरण का काल होगी जिसका संचालन सूत्र प्रत्यक्षतः महाप्रभु के ही कर कमलों में रहेगा।
भविष्य मालिका में लिखा है कि भारत और पूरे विश्व में मिलकर केवल 64 करोड़ लोग ही धरती पर जीवित रहेंगे और सब ही पवित्र और दयावान हो जायेंगे। मालिका में लिखा है कि सतयुग की शुरुआत में सब लोग ही माधव नाम जप करेंगे, त्रिसंध्या करेंगे या भागवत महापुराण नहीं पढ़ते रहेंगे। तो जो सत्य, प्रेम दया, क्षमा, और शांति की राह पर रहेगा वह भी सतयुग में प्रवेश करेगा ही, लेकिन जो त्रिसंध्या करेगा वह बहुत विशेष हो जाएगा आनेवाले जो खंड प्रलय में जब घर उड़ जाएंगे, जब बड़ी से बड़ी आग लगेगी, समुद्र का लहर पर्वत जैसा उठेगा तो उस दिन त्रिसंध्या करनेवाले बचे रहेंगे।
मालिका में साफ लिखा है –
सत्यआचरण करीज
जन
सत्य जुगे रहीती धर्म बाट
चालू थस प्रभु दर्शन पाई।
- भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास जी)
यानी जो सत्य की बात में रहेगा जो सत्य, मित्रता, दया, क्षमा और शांति के रास्ते पर रहेगा वह सतयुग में अवश्य प्रवेश करेगा और जो धर्म का पालन करेगा जो धारा का पालन करेगा वह प्रभु के दर्शन पाएगा, प्रभु का अंग संग लाभ करेगा और प्रभु के धर्म संस्थापना कार्य में काम आएगा। यह धारा के प्रभाव से तीन साल अगर नियमित रूप से त्रिसंध्या धारा का पालन कर लिया जाए तो मनुष्य का दिव्य शरीर हो जाता है।

सतयुग की शुरुआत के पश्चात प्रभु कल्की अपने भक्तों के लिए शीर सागर को बुलाएंगे और उनके सारे दुखों को हर लेंगे। मालिका में लिखा है भगवान कल्कि का विवाह उत्सव मां महालक्ष्मी के साथ उड़ीसा के खंडगिरि पहाड़ के नीचे अपने आश्रम पर ब्रह्मा जी के द्वारा संपन्न होगा विवाह के पश्चात ही उड़ीसा के जाजपुर की पवित्र भूमि पर सुधर्मा सभा भी बैठेगा।
महापुरुष लिखते हैं -
लक्ष्मी नारायण श्री अंग
भूषण ग्रहण ग्रंथ सहित,
बिरजा खेत्रे स्थापन
गुपत
तुम भे देखिबे सख्याते।
- भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास जी)
अर्थात माता महालक्ष्मी व भगवान श्री हरि के वही दिव्य वस्त्र और आभूषण जिसे द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण ने सुरक्षित रखवाया था और जिसे प्रत्येक युग जैसे सत्य द्वापर त्रेता और कलयुग में माता व श्री भगवान के द्वारा विशेष समय पर धारण किया जाता है। उन्हीं वस्त्र व आभूषणों को जब जाजनग्र में स्थित माता बिरजा के पवित्र भूमि पर सुधर्मा सभा में भगवान के द्वारा धारण किया जाएगा। जो भक्त गण उस सभा में मौजूद होंगे उन सभी को उस दिव्य वस्त्र आभूषण में सुसज्जित माता और भगवान के अलौकिक दर्शन प्राप्त होंगे।
आगे महापुरुष मलिका में लिखते हैं -
ख्याजीबे कष्टथिबा जार घट
वृद्ध अंगु जुबाहेबे कहे
भीम बोही तामर अज्ञानी
एकाख्यर माने भज।
- भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास जी)
अर्थात जाजपुर में सुधर्मा सभा भगवान कल्कि के नेतृत्व में बैठेगी जो पवित्र भक्त रहेंगे उन्हें सुधर्मा सभा में भगवान मधुसूदन के साथ बैठने का अवसर मिलेगा। उस समय भगवान जगतपति भक्त वत्सल दीन बंधु
भगवान
कल्कि के आवाहन पर कुछ समय के लिए शीर सागर बैकुंठ से उतरेंगे उस शीर सागर में उन सभी भक्तों को शीर सागर में स्नान करने के लिए भेजा जाएगा। वे सभी भक्त जो उस पवित्र जल में स्नान करेंगे, जो वृद्ध अवस्था से घिरे हुए हैं या जिन्हें किसी प्रकार की बीमारी है या कोई शारीरिक अक्षमता है वे सभी पवित्र भक्तो को शीर सागर के दिव्य जल में डुबकी लगाने से युवावस्था प्राप्त करेंगे। वे सभी भक्त अर्थात वे सभी देवता जो मानव शरीर में है और उन सभी को दिव्य शरीर की प्राप्ति होगी।
आगे महापुरुष लिखते हैं कि -
तुलसी पतर गोटी–गोटी भासुथिब
खीर नदी नामे एक नदी बहिब।
- भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास जी)
अर्थात भक्त उस शीर सागर के जल में तैरते हुए माता तुलसी के पत्रों को भी देख सकेंगे जिनका आवाहन स्वयं भगवान करेंगे और भक्त उसी जल में स्नान कर दिव्य शरीर को प्राप्त करेंगे।
भक्त कला निधि जेबे कला देबे बांटी
कलीरे कलमुस सेठू जिबे परा टूटी।
- भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास जी)
अर्थात महाविष्णु उसी सभा में अपनी वैष्णव कला प्रदान करेंगे और उस कला की प्राप्ति के पश्चात भक्तजन कलियुग में बिताए सारे कष्ट और सारी यादों को भूल जाएंगे। फिर सत्ययुग की शुरुआत होगी राम राज्य होगा और सभी भगवान कल्कि के शासन में परमानंद में समय व्यतीत करेंगे। हर तरफ खुशियां होंगी ऐश्वर्य होगा कहीं दूर-दूर तक दुख व दरिद्रता नहीं होगी। बहुत जल्द ऐसे अद्भुत समय की शुरुआत होगी जो पवित्र भक्त होंगे वह सभी इस दिव्य परिवर्तन को स्वयं देख पाएंगे।
आगे महापुरुष प्रभु कल्की के राजा बनने के बारे में भी लिखते हैं –
अनंत न्क युग होईब
माधव न्क शिरे शोहिब।
अनंत माधव लीला देखीबाकु
सिद्ध गिरि पीठ रहज बसी।
- भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास जी)
अपनी इन पंक्तियों में संत
अच्युतानंद दास जी ने बताया है कि धर्म संस्थापन के बाद जब अनंत युग जिसे आद्य सतयुग भी कहा जाता है, तो जब अनंत युग का आगमन होगा तो माधव यानी कि कल्की महाप्रभु के सिर पर सोने का मुकुट सुशोभित होगा। अर्थात वे सात महाद्वीपों सहित समस्त पृथ्वी के स्वामी होंगे और सत्य से विश्व का पालन करेंगे।
आगे महापुरुष राजा के बारे में लिखते हैं -
दिबयसिंहदेवंक समयरे सत्ययुग हेब
एवम से बालक अबसथारे
राजराबि लाभ करीबा।
दिबय केसरी राजा हेब
तेबे से सत्ययुग हेब।
अमर जुमर संहिता, १४ अ(अच्युतानंद दास जी)
अर्थात
कलियुग के अंत
तक
19 राजा होंगे पुरी में और दिव्य सिंह देव चतुर्थ जो कि बाल्यकाल से राजा बनेंगे उन्हीं के समय सतयुग की शुरुआत होगी।
सपत बर्ष घोर युद्ध हेब,
तद अनंत केशरी जे द्रब।
- भविष्य पराद्धर (बलराम दास जी)
महान पंच सखा में एक
महापुरुष बलराम दास
ने लिखा है कि कलयुग के अंत में सात साल का भीषण युद्ध होगा। ऐसा माना जा सकता है कि सन 2022 से युद्ध की जो पहली कड़ी शुरू हुई है, वह एक श्रंखला में बदलकर सन 2032 में ही समाप्त होगी जब इस युद्ध का अंत होगा
कलियुग
से अनंत युग में प्रवेश की घड़ी आ चुकी होगी। तब सर्वत्र केवल भगवान अनंत केशरी का साम्राज्य होगा, सत्य प्रकट होगा और सनातन धर्म की प्रतिष्ठा होगी।
केबल ये सनातन धर्म कू
स्थापि बे प्रभु से नारायणो
जाई फूलो लो,
आऊ अन्य धर्म हेबो चूर्ण ।
- भविष्य मालिका
अर्थात केवल सनातन धर्म की स्थापना करके बाकी सभी धर्मों को सनातन धर्म में लीन कर देंगे श्री हरि। अनंत युग सतयुग से भी सर्वश्रेष्ठ होगा और इस युग की आयु 1008 वर्ष तक होगी और फिर संपूर्ण सतयुग का आरंभ होगा।
कलियुग के अंत तक सभी पापियों का अंत हो चुका होगा और कल्कि अवतार 1 लाख भक्तों को पृथ्वी के अलग-अलग प्रांत का राजा बनाएंगे।
बूढ़े व्यक्ति जवान और बूढ़ी औरतें जो विनाश से बच गए होंगे वह सभी युवती में तब्दील हो जाएंगे धीरे-धीरे परिवर्तन होते-होते एक ही दिन में छह ऋतुओं का भोग होगा। वृक्षों में फूल और फल एक ही दिन में खिलेंगे और गरीबी अशिक्षा भुखमरी नहीं होगी। चोर उचक्के नहीं होंगे, न्यायालय तो होगा पर वह खाली रहेंगे घरों में बक्सों में ताले नहीं लगे होंगे और हर घर में छतों के ऊपर सोने के कलश लगे होंगे। अध्यात्म की चर्चा चौपालों पर होगी और लोग घर-घर में भागवत कथा का श्रवण करेंगे पाठ करेंगे। जाति पाति नहीं होगी सभी एक ही जाति के होंगे और सनातन धर्म को धारण किए रहेंगे। गौ माता बातें करेंगी और पशु पक्षी भी मनुष्य की बोली बोलने लगेंगे। ऐसा 1008 वर्ष तक चलेगा और फिर सतयुग आरंभ होगा।
आप सबसे विनती है कि आप सभी त्रिसंध्या धारा अपनाए श्रीमद् भागवत पठन और माधव नाम जब भी आवश्यक है साथ ही जल्द से जल्द मांसाहार या किसी भी प्रकार का नशा त्याग दें और महाप्रभु जी की दिव्य और अलौकिक धारा को अपने जीवन में अपनाए ताकि सबका कल्याण हो और आने वाले आपदाओं से सुरक्षित रहें।