भविष्य मालिका के अनुसार तृतीय विश्व युद्ध कब होगा
वर्तमान समय में हम देख रहे हैं कि विश्व पर युद्ध का संकट मंडरा रहा है और तृतीय विश्व युद्ध (वर्ल्ड वॉर 3) होना निश्चित है, जिसमें कोई बदलाव संभव नहीं है। दुनिया की महाशक्तियाँ, जैसे अमेरिका, रूस, चीन और अन्य देश परमाणु हथियारों की प्रतिस्पर्धा में लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे परमाणु युद्ध की संभावना अधिक हो रही है।
लगभग 600 वर्ष पूर्व अच्युतानंद दास जी ने तृतीय विश्व युद्ध की भविष्यवाणी की थी। यह युद्ध 2025-28 के बीच होगा और यह परमाणु युद्ध होगा। भविष्य मालिका के अनुसार, मीन शनि योग के पश्चात ये घटनाएँ प्रारंभ होंगी। महापुरुष लिखते हैं-
मीन शनि गुरू बार रे,
पडिबो एहि अंक धृब धृब।
भद्र मास रे तेर दिन पक्षे,
काल धरणी ग्रासिब ।
- भविष्य मालिका(अच्युतानंद दास जी)
अर्थात, भाद्रपद मास में तेरह दिन का पक्ष पड़ेगा, तब धरती को कालग्रास करेगा। यह तेरह दिन का पक्ष 23 जून से 5 जुलाई 2024 में हो चुका है। 29 मार्च 2025 को, शाम 5:30 बजे, जब शनि मीन राशि में प्रवेश करेगा। उस समय के बाद से खंडप्रलय की तीव्रता बढ़ेगी और विभिन्न स्थानों पर युद्ध प्रारंभ होंगे।
तृतीय विश्व युद्ध का भारत और विश्व पर प्रभाव
विश्व युद्ध केवल भारत ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व पर भी अत्यधिक हानिकारक प्रभाव डालेगा। एक बार परमाणु युद्ध छिड़ गया, तो संसार में विनाश के अलावा कुछ भी नहीं बचेगा। यह न केवल भौतिक क्षति पहुंचाएगा, बल्कि पर्यावरण और जीवन के लिए भी अत्यधिक हानिकारक परिस्थितियाँ उत्पन्न करेगा।
भविष्य मालिका में इसका उल्लेख है कि यह युद्ध मुख्य रूप से सत्ता, धर्म और संसाधनों के लिए लड़ा जाएगा। किसी भी देश के पास इससे बचने का कोई निश्चित उपाय नहीं होगा। तृतीय विश्व युद्ध जनसंख्या में भारी कमी लाएगा, किंतु साथ ही मानवता को एक नए युग की ओर अग्रसर करेगा। भारत इस संकट काल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और एक आध्यात्मिक शक्ति के रूप में उभरेगा।
इस भविष्यवाणी के अनुसार, युद्ध के समय लोगों को संयम, आध्यात्मिकता और सत्कर्मों की ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे वे इस कठिन समय में सुरक्षित रह सकें। भगवान कल्कि अपने शरणागत भक्तों की रक्षा करेंगे, परमाणु संकट का निवारण करेंगे, अपने भक्तों का उद्धार करेंगे और सनातन धर्म की पुनः स्थापना करेंगे।

तृतीय विश्व युद्ध का समीकरण
भविष्य मालिका के अनुसार, जब भारत के खिलाफ 13 मुस्लिम देश एकत्रित हो जाएंगे तो यह तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत के संकेत होगा। भविष्य मालिका में पहले से ही इस घटनाक्रम का उल्लेख किया गया है। वर्तमान में, वैश्विक राजनीति कई गुटों में बंटी हुई है—संयुक्त राष्ट्र अमेरिका, जापान, जर्मनी और नाटो एक ओर हैं, जबकि चीन और पाकिस्तान अपने गठबंधन में हैं। इसी तरह, रूस और उसके मित्र देशों का भी अपना एक अलग समूह है। इन सबके बीच भारत एक शांतिप्रिय देश के रूप में उभर रहा है, लेकिन भविष्य मालिका की भविष्यवाणियों के अनुसार, जल्द ही बड़े परिवर्तन होने वाले हैं।
तृतीय विश्व युद्ध की नींव और भारत पर प्रभाव
भविष्य मालिका के अनुसार, इस परमाणु युद्ध में सर्वाधिक तबाही उन स्थानों पर होगी, जो वैश्विक शक्ति और आर्थिक केंद्रों के रूप में प्रतिष्ठित हैं। भविष्य मालिका में लिखा है कि युद्ध का पहला हमला मुंबई, दिल्ली और कोलकाता में होगा, और इसके बाद युद्ध की तीव्रता चेन्नई, ओडिशा के कटक और बालासोर जिलों तक फैल जाएगी। भारत के सीमावर्ती राज्य—पंजाब, राजस्थान, गुजरात, उत्तराखंड और अरुणाचल प्रदेश भी इस युद्ध के प्रभाव से अछूते नहीं रहेंगे।
यह युद्ध केवल भारत और पाकिस्तान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच त्रिकोणीय संघर्ष का रूप ले लेगा। भारत को एक साथ दो मोर्चों पर युद्ध लड़ना होगा—एक ओर पाकिस्तान और दूसरी ओर चीन।
महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने भविष्यमालिका ग्रंथ में 600 वर्ष पूर्व ही 'पाकिस्तान' का उल्लेख किया था, जबकि यह देश 1947 में अस्तित्व में आया। उन्होंने लिखा था कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ युद्ध करेगा और इसमें चीन, तुर्की, ईरान, इंग्लैंड और अमेरिका पाकिस्तान का समर्थन करेंगे। वहीं, भारत का सबसे बड़ा मित्र रूस भारत की मदद के लिए सबसे पहले आएगा और उसे अस्त्र-शस्त्र, आर्थिक सहयोग और सैन्य सहायता देगा, जिससे भारत अपने शत्रु देशों के खिलाफ युद्ध कर सकेगा।
तृतीय विश्व युद्ध: महाभारत युद्ध का शेष युद्ध
महाभारत का शेष युद्ध एक बहुत ही महत्वपूर्ण और रहस्यमय विषय है, जिसका संबंध न केवल इतिहास से है, बल्कि भविष्य से भी है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने आधे दिन के लिए शेष युद्ध को रोक दिया था, क्योंकि वह एक विशेष काल में अर्थात कलियुग में होने वाला था। उस युद्ध को रोकने का कारण यह था कि पाँच बालवीर, जो युद्ध के महत्वपूर्ण योद्धा होंगे, उस समय युद्ध में भाग नहीं ले पाए थे। उन पाँच बालवीरों के नाम हैं— अभिमन्यु, बर्बरीक, एकलव्य, घटोत्कच और भद्रभान।
पाँच बालवीरों के युद्ध में भाग न लेने के कारण:
- अभिमन्यु को कौरवों ने अन्यायपूर्वक मार दिया था, जिससे वह वीरगति को प्राप्त हुए, और उनकी युद्ध में भाग लेने की इच्छा पूरी नहीं हो सकी।
- बर्बरीक का मस्तक भगवान श्रीकृष्ण ने ले लिया, जिससे वह युद्ध में भाग नहीं ले पाए।
- एकलव्य की ऊँगली भगवान श्रीकृष्ण ने ले ली, जिससे वह युद्ध करने में असमर्थ हो गए।
- घटोत्कच ने भगवान से वरदान प्राप्त किया था, जिसके कारण वह युद्ध में शामिल नहीं हो सके।
- भद्रभान की युद्ध में भाग लेने की क्षमता नहीं थी।
इन्हीं कारणों से पाँच बालवीर महाभारत के शेष युद्ध में भाग नहीं ले पाए थे और भगवान श्रीकृष्ण ने उस युद्ध को रोक दिया था। इस युद्ध मे पाँच पांडव, पाँच बालवीर, सप्तरथी और कर्ण शामिल होंगे। भगवान कल्कि इन सभी योद्धाओं को वैष्णवी शक्ति प्रदान करेंगे और उस शक्ति का प्रयोग तृतीय विश्व युद्ध में होगा। भगवान कल्कि के आशीर्वाद और मार्गदर्शन से इन महावीरों का मुख्य उद्देश्य धर्म और पवित्रता की रक्षा करना होगा।
इन दिव्य योद्धाओं के द्वारा अधर्म और बुरी शक्तियों का विनाश किया जाएगा। इसके अलावा, भारत की सुरक्षा का भार स्वयं भगवान कल्कि पर होगा। जो लोग धर्म और पवित्रता के मार्ग पर चलेंगे, वे भगवान कल्कि की कृपा और सुरक्षा प्राप्त करेंगे।
तृतीय विश्व युद्ध का परिणाम
इस परमाणु युद्ध में भारत की सेना और नारायणी सेना मिलकर अधर्म के सभी प्रतीकों का नाश करेगी, क्योंकि उन्हें भगवान कल्कि की शक्ति प्राप्त होगी। भगवान कल्कि की शक्ति के आगे कोई भी बुरी शक्ति या शत्रु सेना टिक नहीं पाएगी।
यह युद्ध धर्म की विजय और अधर्म के संपूर्ण नाश हेतु लड़ा जाएगा, जिसमें भारत की विजय निश्चित होगी और विश्व में पुनः सनातन धर्म की स्थापना होगी। भविष्य मालिका के अनुसार, भगवान कल्कि के कुछ भक्त विदेशों में भी जन्म ले चुके हैं जो युद्ध में भाग लेंगे, जिनकी रक्षा स्वयं भगवान कल्कि करेंगे।
विश्व युद्ध और अन्य प्राकृतिक आपदाओं से बचाव
त्रिसंध्या
त्रिसंध्या
त्रिसंध्या का अर्थ है, तीन समय किया जाने वाला संध्या वंदन। यह ब्रह्ममुहूर्त (सुबह 3:45 से 6:00 बजे), दोपहर (11:00 से 1:00 बजे) और संध्या (शाम 5:00 से 7:00 बजे) संपन्न किया जाता है। इसमें भगवान विष्णु के 16 नाम, दशावतार स्तोत्र और दुर्गा-माधव स्तुति का पाठ शामिल होता है। यह साधना आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाती है, मन को शांति प्रदान करती है और हमें किसी भी प्रकार की आपदाओं से सुरक्षित रखती है।
श्रीमद्भागवत महापुराण का अध्ययन और माधव नाम जप
जब हम श्रीमद्भागवत महापुराण के उपदेशों का अध्ययन करते हैं और उनके अनुसार आचरण करते हैं, तो हम आध्यात्मिक मार्ग पर अग्रसर होते हैं और सभी प्रकार के शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकते हैं। नित्य पाठ करने से हमारे घर के नवग्रह शांत होते हैं तथा हमें ज्ञान और भक्ति की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से भगवान माधव के नाम का जाप या स्मरण करने से मानसिक शक्ति और सुरक्षा प्राप्त होती है। माधव नाम के निरंतर जप से हमें आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है और हमारी आत्मिक रक्षा होती है।
सनातन धर्म का पालन
सनातन धर्म के नियमों का सही रूप से पालन करना आवश्यक है। इससे हम अपने जीवन के उद्देश्य को समझकर सही मार्ग पर चल सकते हैं। हमें सत्य, दया, प्रेम, क्षमा और शांति को अपने जीवन में अपनाना चाहिए, जिससे हम आने वाले सत्ययुग के लिए स्वयं को तैयार कर सकें। सभी जीवों पर दया करना और उनकी रक्षा करना हमारा परम धर्म है।
पर्यावरण संतुलन, स्वास्थ्य और शरीर के शुद्धीकरण के लिए शाकाहारी जीवनशैली को अपनाना चाहिए। यह हमारे आंतरिक और बाह्य शुद्धिकरण में सहायक होता है। मनुष्य का शरीर मांस भक्षण के लिए उपयुक्त नहीं है। भविष्यमालिका में वर्णित है कि मांसाहार करने वाले लोग भविष्य में सूर्य की तीव्र गर्मी सहन नहीं कर पाएंगे।
निष्कर्ष
भविष्य मालिका ग्रंथ की भविष्यवाणियों के अनुसार, जब तृतीय विश्व युद्ध होगा, तो यह अत्यंत विनाशकारी होगा। भविष्य मालिका के अनुसार, ये विनाशकारी घटनाएँ 2025 के मार्च महीने के बाद से प्रारंभ हो सकती हैं। यह सब लगभग 600 वर्ष पूर्व भविष्य मालिका ग्रंथों में लिखा जा चुका था और अब इसकी सत्यता प्रकट होती हुई दिखाई दे रही है। भविष्य मालिका ग्रंथ में इन सभी संकटों से बचने के उपाय भी बताए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि केवल भक्तजन ही इस महाविनाश से सुरक्षित रहेंगे, लेकिन इसके लिए उन्हें सनातन धर्म के नियमों का पालन करना होगा, त्रिसंध्या करनी होगी, श्रीमद्भागवत महापुराण का नित्य पठन करना होगा, और भगवान कल्कि की शरण में आना होगा। जो भी व्यक्ति इस मार्ग का अनुसरण करेगा, भगवान स्वयं उसकी रक्षा करेंगे।