भविष्य मलिका, महापुरुष अच्युतानंद जी द्वारा रचित एक पवित्र ग्रंथ है, जिसमें आने वाले समय की भविष्यवाणियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। 2025 में शनि का मीन राशि में प्रवेश एक ऐसी ही घटना है, जिसे भविष्य मलिका ने मानवता के लिए एक गंभीर चेतावनी के रूप में देखा है। इस लेख में हम समझेंगे कि इस महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना का प्रभाव क्या हो सकता है और इस कठिन समय से निपटने के लिए हमें कौन से आध्यात्मिक उपाय अपनाने चाहिए।
महापुरुष अच्युतानंद जी ने 600 साल पहले भविष्य मलिका में लिखा था कि जब शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तो यह समय मानवता के लिए अत्यधिक संकटमय होगा। 29 मार्च 2025 को शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे, जो पूरे संसार के लिए एक गंभीर संकट का समय हो सकता है। भविष्य मलिका के अनुसार, इस समय पूरे संसार में विनाश और संघर्ष का मंजर देखने को मिल सकता है।
भविष्य मालिका इस घटना के बारे में क्या कहती है?
मीन राशि प्रलय राशि और अंतिम राशि है। जब मीन शनि योग होगा तो प्रभु कल्कि अपनी लीला तीव्र करेगे।
महापुरुष अच्युतानंद जी लिखते है –
मीनो शनि मेडो गो हो हेबो जेते बेड़े,
समरो लागिबो बाबू भारोतो मंडले।।
- भविष्य मालिका (अच्युतानंद दास)
अर्थात् जब मीन राशि में शनि देव चलन करेगे तो कल्कि जी की संहार लीला तीव्र हो जायेगी। उस समय सारे संसार की प्राकृतिक आपदाएं अपने चरम पे होगी। प्रभु कल्कि जी एक तरफ पंच तत्व ( मृदा, आकाश, जल, अग्नि, वायु ) से विनाश लीला करेगे। दूसरी तरफ सारा संसार विश्व युद्ध में लग जायेगा। महापुरुष अच्युतानंद के अनुसार जब संसार में मीन शनि का योग होगा तो संसार को विनाश का काल ग्रास कर लेगा। उस विनाश के समय केवल धर्म से हमारी रक्षा होगी।

आज से 600 वर्ष पूर्व, महापुरुष अच्युतानंद दास आदि भगवान श्री कृष्ण के पंचसखाओं द्वारा "भविष्य मालिका पुराण" की रचना की गयी थी। भविष्य मालिका पुराण के अनुसार एक समय भारत में पवित्र शासन तंत्र होगा। तब ओडिशा प्रदेश में स्वर्गीय बीजू पटनायक के सुपुत्र माननीय नवीन पटनायक राज्य करेंगे। फिर 2025 में मीन शनि का संयोग होगा, अर्थात, मीन राशि (प्रलय राशि) में भगवान शनि देव का चलन होगा।
अन्यों के विषय में महापुरुष अच्युतानंद दास जी कहते हैं कि बड़े बड़े ज्ञानियों को अपने विचारधारा के अभिमान के कारण दुःख, परेशानी, और कहीं कहीं तो विनाश तक का सामना करना पड़ेगा। जब 29 मार्च 2025 की शाम 5:50 के समय शनि देव मीन राशि में आएंगे, तब मानव समाज पर बहुत बड़ी आपदा आएगी। इसलिए अभी विश्राम का समय बिलकुल नहीं है। सभी को सत्य, धर्म और पवित्रता को जानना चाहिए।
शनि का मीन राशि में प्रवेश: संकट का संकेत?
ज्योतिष के अनुसार, मीन राशि अंतिम राशि है, जो जीवन के अंत और पुनर्जन्म का प्रतीक है। शनि का इस राशि में प्रवेश एक बड़े बदलाव और संकट का सूचक है। भविष्य मलिका में इसे मानवता के लिए सबसे बड़ा संकटमय समय माना गया है, जिसमें संपूर्ण विश्व में अशांति, संघर्ष और विनाश का माहौल बन सकता है। इस समय को भविष्य मलिका ने "महाविनाश का काल" कहा है।
विनाश का जो भयंकर तांडव इस निकट मीन शनि संयोग के समय होगा, उसके विषय में जानना सारे विश्व के लिए अत्यंत आवश्यक है। शनिवार के दिन, शनिदेव मीन राशि में, चंद्र देव उत्तराभाद्रपद नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। वह सारे विश्व के लिए महा-विनाश का समय होगा। 2025 -27 में होने वाला विश्व युद्ध अवश्यम्भावी है।
भविष्य मलिका में उल्लेख है कि इस समय के दौरान वैश्विक युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। यदि लोग इस चेतावनी को नजरअंदाज करते हैं और सही मार्ग पर नहीं चलते, तो इस समय विनाश और अशांति फैल सकती है।
क्या सुरक्षा प्रदान करेगा?
महापुरुष अच्युतानंद जी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि जो लोग धर्म के मार्ग पर चलते हैं, नियमित रूप से त्रिकाल संध्या करते हैं, और "माधव" नाम का जाप करते हैं, वे इस संकट से सुरक्षित रहेंगे। यह समय हमें यह सिखाता है कि जब कठिनाइयाँ हमारे सामने आती हैं, तो केवल आध्यात्मिकता और पवित्रता ही हमारा रक्षण कर सकती है।
आज बहुत से लोग बोलते है की त्रिसंध्या करने का समय नहीं है, भागवत पुराण पढ़ने के समय नहीं है। परंतु वास्तविकता में तो विनाश से कैसे बचा जाए ये विचार करने का समय नहीं है। मालिका में बताई गई त्रि संध्या धारा का पालन करे, सुधर्मा महा महा संघ से जुड़े, अपना धर्म बल बढ़ाए, तभी प्रभु कल्कि जी की संहार लीला से हमारी रक्षा होगी।
हमें क्या करना चाहिए?
इस भावी महाविनाश से उद्धार पाने का एक ही उपाय है, परब्रह्म माधव की शरण ग्रहण करना। इसके लिए हमे सुधर्मा महा महा संघ के अंतर्गत पवित्र त्रिसंध्या धारा का अनुसरण करना चाहिए। यही सबके लिए मंगलदायक होगा, और यही भविष्य मालिका का सन्देश है। मालिका में बताई गई त्रिसंध्या धारा का पालन करे, सुधर्मा महा महा संघ से जुड़े, अपना धर्म बल बढ़ाए, तभी प्रभु कल्कि जी की संहार लीला से हमारी रक्षा होगी।