महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने आज से 600 साल पहले मीन शनि चलन पर भी भविष्यवाणी की थी कि कलयुग के अंत में मीन शनि योग होगा जो धरती पर नवग्रह माई या राशि चक्र मे बड़ा परिवर्तन लाएगा. ये योग 29 मार्च 2025 को शाम 5:50 से प्रारम्भ होगा, जब शनि देव मीन राशि में प्रवेश करेंगे जिसके बाद मानव सभ्यता के लिए भीषण आपदाएँ
और बड़ा परिवर्तन भी देखने को मिलेगा।
भविष्य मालिका में मीन शनि योग का महत्व
भविष्य मालिका पुराण के "भविष्यत चउतीसा" में अच्युतानंद दास जी कहते हैं -
ठिकणा अमर पुर
ठाकुर तहीं रु हेबे बाहार, रामचंद्र रे।
ठारी पांच सहस्र कु धर, रामचंद्र रे।।
ठिकणा अच्युत कले,
'ठ' तिनि बामे पांच रखिले रामचंद्र हे।
ठकि जिब मिन-शनि भले रामचंद्र हे।।
- भविष्यत चउतीसा(अच्युतानंद दास)
कलियुग के अंत 5000 साल के बाद यह घटना होगी और 5000 साल के बाद धरती पर मीन शनि चलन होगा तब विश्व में विनाश का समय आएगा। सभी ओर विध्वंस ही दृष्टिगत हो रहा होगा। उस समय, श्रीकृष्णावतार, पूर्ण-ब्रह्म भगवान कल्कि की संहार लीला बहुत तीव्र हो जाएगी ।
भगवान के सच्चे भक्तों को इससे कोई भय नही होगा । क्यूंकि वे तो पहले ही भगवान की शरण में आ जायेंगे और विश्व सनातन धर्म के सुधर्मा महा महा संघ की त्रिसंध्या धारा का पूर्ण दृढ़ता एवं समर्पण के साथ अनुसरण करेंगे। राशि चक्र में मीन राशि मुख्य और अंतिम राशि है, जिसे मुख्य राशि या प्रलय राशि भी कहते हैं। तो उसी समय शनि देव का मीन राशि में चलन संसार के लिए अपदायक होगा।

मीन शनि योग को समझें
इस दिन चैत्र मास शुक्ल पक्ष भी है और हिंदू नववर्ष भी इसी दिन हैं। पूरे भारत में हिंदू नववर्ष के दिन माँ दुर्गा देवी का पूजा होता है। नववर्ष, सूर्य ग्रहण और अमावस्या का 29 मार्च 2025 को मीन शनि चलन के समय आना धरती के लिए अच्छा संकेत नहीं है। नव वर्ष के दिन शनि देव का मीन राशि में चलन मारक है, यानी मृत्यु जैसी बाधक स्थिति है। शनि देव के चलन के साथ शुक्र, राहु, बुध, रवि, चंद्र और नेपच्यून, जिसे वरुण देवता यानी जल प्रलय का ग्रह भी कहते हैं, वे सभी बाधक दृष्टि से चलन करेंगे।
उसी दिन शनि देव जी के दो उपग्रह गुलिक और दूसरा मंडी वह भी धरती पर बाधक दृष्टि पर देखते हैं और द्वादश राशि में मीन राशि शेष राशि है और मीन राशि पर शनि के कुछ समय के बाद धरती पर काल सर्प योग आता है और इसी सर्प योग में बहुत लोगों का मृत्यु भी होता हैं।
भविष्य मालिका की मीन शनि योग पर भविष्यवाणियाँ
मालिका में लिखा है –
अतिरिक्त मासो पक्षो जे,
अमावस्या संक्रांति एकत्र पड़िब
बहु वार कर लख्या जे।
- भविष्य मालिका (अच्युतानंद दास)
अर्थ: अच्युतानंद दास जी ने मालिका में लिखे हैं जब जब अमावस्या संक्रांति एक साथ पड़ता है तब धरती पर विनाश होता है और 2025 में एक साथ अमावस्या संक्रांति तीन बार पड़ रहा है जो कि मानव सभ्यता के लिए बड़ा विनाशकारी संकेत है।
महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने आज से 600 वर्ष पहले ही लिख दिया था कि ऐसा समय आएगा जब मीन शनि चलन के समय बड़े-बड़े भक्त लोग भी त्रिकाल संध्या को समझ नहीं पाएंगे। ऐसे समय में मीन राशि के चलन के कारण धर्म स्थान में बड़ा आपद आएगा और आपस में धर्म के लिए लड़ाई बहुत बढ़ेगी। साधु-संत परम्परा में लड़ाई, संप्रदायिक हिंसा, और संप्रदायिक दंगे पूरे देश में देखने को मिलेगा।
सत्य, त्रेता, द्वापर और कलियुग में भक्तों का उद्धार के लिए और सनातन धर्म की स्थापना के लिए दुर्गा माधव हर युग में मलेच्छाे का विनाश और धरती की रक्षा और धरती का पालन करते है। और इसी मीन शनि योग के बाद धरती पर काल ग्रास करेगा और माँ दुर्गा और भगवान कल्कि धरती पर दुष्टों का संहार करेंगे और धरती पर तीन भाग लोगों की मृत्यु भी होगी।
निष्कर्ष
भविष्य मलिका का प्रचार पूरे भारत में मानव कल्याण के लिए हो रहा है इसलिए शनि की चाल से और ग्रह दोष और आपदाओं से मुक्ति के लिए मानव सुरक्षा के लिए त्रिकाल संध्या और भागवत महापुराण सबसे ज्यादा जरूरी है जिससे कि हमें भगवान की कृपा प्राप्त होगी और आने वाले दुर्भाग्य से रक्षा भी मिलेगी।