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Bhavishya Malika

भविष्य मालिका की भविष्यवाणी: आने वाला है भयंकर खाद्य संकट और विनाश

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31 May 2025

भविष्य मालिका में आज से 600 वर्ष पूर्व ही संत अच्युतानंद दास जी तथा अन्य पंचसखाओं द्वारा आने वाले खाद्य संकट के बारे में भी स्पष्ट लिखा है, जिससे आने वाले काल में मानव समाज को अत्यंत कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।


खाद्य संकट के कारण


भविष्य मालिका के अनुसार, जब पूरे विश्व में युद्ध की स्थिति उत्पन्न होगी और चारों ओर खंड प्रलय का प्रकोप होगा — तब लोगों को भयंकर खाद्य संकट का सामना करना पड़ेगा। ऐसा समय भी आएगा जब लोगों को भोजन के लिए अनाज तक उपलब्ध नहीं होगा, और चारों ओर त्राहि-त्राहि मच जाएगी।

“आगे कृषि कारी विनाश होंइबे,
तदनते धनीक लोक
राज सेबायत ता परे विनाश पंडिब अति मड़क”
शिवकल्प नवखंड, महापुरुष अच्युतानंद

अर्थात, सबसे पहले किसानों का विनाश होगा, फिर धनवान लोगों का, तत्पश्चात राजसेवकों का भी अंत होगा — और उसके बाद व्यापक मृत्यु का भयावह दृश्य सामने आएगा।


प्राकृतिक कारण


भारत में बाहर से बहुत-सी टिडियाँ और छोटे-छोटे कीट पूर्व-पश्चिम दिशाओं से आएँगे और चारों ओर फैलकर कृषि कार्य का विनाश करेंगे। जो धनी लोग होंगे, वे अनाज को खरीदकर जमा करेंगे ताकि भविष्य में उसका उपयोग कर सकें, परंतु उनमें कीड़े लग जाएँगे और वह अनाज किसी काम का नहीं रहेगा।


महंगाई इतनी बढ़ेगी कि कहीं एक किलो चावल के लिए 100 लोग बैठेंगे, पर वह भी पूरा नहीं हो पाएगा और कहीं-कहीं तो हजार रुपये देने पर भी अन्न नहीं मिलेगा।


मीन शनि चलन का प्रभाव


भविष्य मालिका के अनुसार जब शनि मीन राशि में आएगा, तब पूरे विश्व की आर्थिक स्थिति डगमगा जाएगी और मानव समाज को गंभीर खाद्य संकट का सामना करना पड़ेगा। शनि अब मीन राशि में 29 मार्च 2025 को प्रवेश कर चुका है — यानी वह समय अब शुरू हो चुका है।


महापुरुष अच्युतानंद दास जी लिखते हैं जब शनि मीन राशि में प्रवेश करेंगे, तब सर्वप्रथम कृषि भूमि बंजर हो जाएगी, और बहुत विनाश होगा। भीषण अकाल के कारण लोगों को भोजन के लिए अन्न तक उपलब्ध नहीं होगा। अनेक दुष्टों और पापियों का उसी समय विनाश होगा।


अर्थात, अकाल के साथ-साथ ओडिशा में अग्नि का भीषण प्रकोप भी देखा जाएगा। यह पूरे विश्व में होगा और संपूर्ण पृथ्वी पर खंडप्रलय का भयावह प्रभाव दिखाई देगा।


घोर विपत्ति और खंड प्रलय से विनाश

भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएँ न मिलने के कारण लोग अन्न के लिए तड़पते हुए अंततः मृत्यु के मुख में समा जाएँगे। बड़ी-बड़ी नदियों का जलस्तर अत्यधिक बढ़ जाने से मनुष्य और पशु प्रजातियों का सर्वनाश हो जाएगा। भीषण गर्मी, भयंकर अग्नि और तूफानों के कारण मनुष्य, पशु, पक्षी, कीट-पतंगे, वृक्ष, वनस्पति तथा घरेलू वस्तुएँ तक नष्ट हो जाएँगी।


उत्तर दिशा से प्रबल शीतलहर और बर्फ का प्रकोप आएगा, जिसके कारण वृद्धजन, शिशु, दुर्बल एवं रोगग्रस्त मनुष्यों का जीवन छिन जाएगा। जानवर घरों में घुसकर मनुष्यों को मारकर खाएँगे। सात दिन और सात रात तक घोर अंधकार छाया रहेगा ।


इस समय सूर्य एवं चंद्रमा का प्रकट होना भी बंद हो जाएगा। उसी काल में जंगली जानवर नगरों में प्रवेश करके लोगों को भारी हानि पहुँचाएँगे और उन्हें खाएँगे। पागल लोमड़ियाँ, कुत्ते, साँप, बाघ, भालू और अन्य क्रूर पशु कई दुराचारियों का अंत कर देंगे।


भक्तों की रक्षा कैसे होगी?


महापुरुष अरक्षित दास जी ने अपने शिष्य रामचंद्र से कहा — “जिस दिन सात दिन और सात रात तक अंधकार छाया रहेगा, और किसी को कुछ भी दिखाई नहीं देगा, उसी समय योगिनी गण पापियों को खा जाएँगी।” जिस दिन यह सात दिन और सात रात का अंधकार होगा, उसी दिन भगवान अपने भक्तों को एक सुरक्षित स्थान पर ले जाकर एक गुफा के मध्य में स्थापित करेंगे।


वहीं पर भगवान भक्तों को गोखर का पत्ता खाने के लिए देंगे, जिसे खाकर उन्हें न भूख लगेगी, न प्यास। उसी पत्ते को खाकर भक्तजन उन कठिन दिनों में जीवित रहेंगे। ऐसा समय आएगा जब हर 15 दिन में एक बार मिलेगा, फिर ऐसा भी होगा जब महीनों में भी एक बार मिलेगा। अन्न का उत्पादन इतना कम हो जाएगा कि लोग नरभक्षी बन जाएंगे।


क्या करना चाहिए ?


भविष्य मालिका डराने के लिए नहीं लिखी गई है। इसे आज से लगभग 600 वर्ष पूर्व इसलिए लिखा गया, ताकि जब अच्छे-अच्छे भक्त भी इस कलियुग के अंधकार में भटक जाएँ, तब यह मालिका उन्हें सच्ची राह दिखा सके। जब वे इसे जानेंगे, तो धर्म के मार्ग पर लौटेंगे, प्रभु की भक्ति में लगेंगे और अपना उद्धार स्वयं कर सकेंगे।


इसीलिए आज भारत ही नहीं, संपूर्ण विश्व में भविष्य मालिका का प्रचार एक दिव्य पुकार बन चुका है — ताकि भटके हुए मानव धर्म की ओर लौटें, और प्रभु की शरण में आकर अपना कल्याण करें।


मालिका के मशहूर प्रचारक पूज्य पंडित काशीनाथ मिश्रा जी द्वारा यह दिव्य संदेश आज भारतवर्ष से लेकर विदेशों तक फैलाया जा रहा है, ताकि हर व्यक्ति त्रिकाल संध्या को जीवन का अंग बनाए, 'माधव' नाम का निरंतर जाप करे, और श्रीमद्भागवत महापुराण का पाठ हर घर में गुंजे — जिससे प्रभु की कृपा हर आत्मा को स्पर्श कर सके और इस कठिन समय में उसका रक्षण हो सके।

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