भविष्य मालिका में 600 वर्ष पूर्व वर्णित अनेक भविष्यवाणियों में, सतयुग की शुरुआत से ठीक पहले आने वाले सात दिन और सात रातों के अंधेरे का भी उल्लेख मिलता है। इस अवधि में पूरी धरती पर घोर अंधेरा छा जाएगा और अनेक आश्चर्यजनक घटनाएँ घटित होंगी और सारे बिजली के उपकरण काम करना बंद कर देंगे ।
इस दौरान पापियों का अंत कैसे होगा, और भगवान कल्कि अपने भक्तों की रक्षा किस प्रकार करेंगे, इसका वर्णन भी मिलता है। इतना लंबा अंधेरा क्यों होगा, उसके बाद क्या परिवर्तन होंगे, और इस संकट से बचने का मार्ग क्या है — इन सभी बातों को इस लेख में स्पष्ट रूप से प्रस्तुत किया गया है।
7 दिन और 7 रात अंधेरे के समय में क्या होगा?
भविष्य मालिका में अच्युतानंद दास जी लिखते हैं कि भूत, पिशाचिनियाँ और चामुंडा जैसी शक्तियाँ अपने सभी अस्त्र-शस्त्रों के साथ प्रकट होंगी। चारों ओर केवल रक्त ही रक्त दिखाई देगा और असंख्य लोगों की मृत्यु होगी।
भविष्य मालिका में लिखा हैं कि जो स्त्रियाँ अपने पति के अतिरिक्त अन्य पुरुषों का चिंतन करती हैं, वे योगमाया के प्रभाव में आकर स्वयं अपने पति की मृत्यु का कारण बनेंगी। जो स्त्रियाँ धर्म में स्थित, पवित्र और अपने पति को समर्पित होती हैं, वे सुरक्षित रहेंगी।
महिलाओं की भूमिका
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यह सारी सामग्री इस भविष्य मालिका की आधिकारिक (Official) वेबसाइट पर प्रकाशित है और कॉपीराइट द्वारा संरक्षित है। यदि आप वेबसाइट की किसी भी सामग्री का इंटरनेट पर उपयोग करना चाहते हैं, तो कृपया भविष्य मालिका ऑफिशियल वेबसाइट का लिंक अवश्य दें।
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“सातो दिनो अंधोकारो हेबो जे मही रे
स्वामी कंरो गला काटी देबे से रात्रि रे
स्त्री सबू योग्नी रूपो धारणो करीबे
पुरुषो मानोकंरो रक्तो शोषी नेबे” - अच्युतानंद दास
जब पृथ्वी पर सात दिन और सात रात तक घना अंधेरा छा जाएगा, तब कुछ स्त्रियाँ अपने ही पति की हत्या कर देंगी। वे योगिनी जैसा रूप धारण कर लेंगी और पुरुषों का खून चूस लेंगी। यह समय बहुत ही भयावह और अशांत होगा, जिसमें अधर्म के प्रभाव से इंसान की सोच और व्यवहार पूरी तरह बदल जाएगा।
इंसानों ने जानवरों पर बहुत अत्याचार किये हैं। उनके जंगल रूपी घर तबाह किये ही हैं और उनका शिकार भी किया है। प्रकृति भी अपना बदला लेगी किसी न किसी रूप में।
अंधेरे में जानवर क्या करेंगे?
“सातो दिनो जे अंधाकर बौलो, सूर्य नो होइबे देखा
शृगलो कुकुरो घरे नासी जीवो, केहि न पाई रक्षा” - अच्युतानंद दास
जब सात दिन का अंधेरा होगा, तब सूर्य बिल्कुल दिखाई नहीं देगा। उस समय खूंखार और मांसाहारी जंगली जानवर लोगों के घरों में घुस आएँगे और वहाँ रहने वाले लोगों को मार डालेंगे। कोई भी उनकी रक्षा नहीं कर पाएगा।
7 दिन का अंधेरा कब होगा?
“श्रीक्षेत्र लीला समापनो
अंधकारो हेबो सातो दिनो
देखीबा तोंही कल्कि रूपो
दसो अवतारो टी शेषो” - अच्युतानंद दास, अमर जुमर संहिता
भविष्य मालिका के अनुसार भगवान कल्कि की जगन्नाथ पुरी में घटने वाली लीला समाप्त होते ही सात दिन अंधेरा हो जायेंगे और तभी कल्कि रूप के दर्शन होंगे जो दशावतार मे शेष अवतार है ।
कलियुग के अंत, अर्थात वर्तमान कालखंड में, चारों दिशाओं से एक प्रचण्ड ध्वनि सुनाई देगी — जो कोलकाता स्थित माँ काली की चित्कार होगी। यह चित्कार जिनके कानों में पड़ेगी, उनमें से तीन-चौथाई लोग तत्काल मृत्यु को प्राप्त होंगे और केवल एक-चौथाई लोग ही जीवित बचेंगे। इसके बाद हवा और पानी का घोर अभाव होगा और सातों दिन-रात घना अंधेरा छा जाएगा।
अंधेरे में कैसे दिखाई देगा?
सात रात्रि और सात दिन के उस काल में, जब चारों ओर घना अंधेरा होगा और हर दिशा में केवल रक्त ही रक्त दिखाई देगा, असंख्य लोग मृत्यु को प्राप्त हो रहे होंगे — तब प्रभु के सच्चे भक्तों को ही सब कुछ स्पष्ट दिखाई देगा और वे आनंद से प्रभु एक ही स्थान पर एकत्रित करेंगे जहाँ वे नाम जप करेंगे और भक्तिभाव से प्रभु का कीर्तन करते हुए समय व्यतीत करेंगे।
निर्मुली की जड़ से एक विशेष अंजन तैयार किया जाएगा, जिसे भक्त अपनी आँखों में अंजन की तरह लगाकर अंधेरे में भी दिन की तरह सब कुछ स्पष्ट देख पाएँगे। इस मूल को केवल पंचसखा ही देख पाएँगे, अन्य किसी को यह दिखाई नहीं देगी।
भूख और प्यास से निदान कैसे मिलेगा?
भगवान कल्कि अपने भक्तों को एक गुप्त स्थान पर एकत्रित करेंगे और उन्हें ‘गोखर’ नामक एक विशेष पत्ता प्रदान करेंगे, जिसे खाने से न उन्हें कई महीनों तक भूख लगेगी और न ही प्यास। वे स्वस्थ रहेंगे और प्रेमपूर्वक माधव नाम का जप करते रहेंगे। भक्तों के लिए एक विशेष स्थान पर जल की भी व्यवस्था की गई है, जिससे उन्हें प्यास की कोई व्याकुलता नहीं होगी।
यह घटना क्यों होगी?
वर्तमान समय में हम देख रहे हैं कि सूर्य की किरणें अत्यंत प्रखर हो गई हैं, जो पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के लिए अत्यधिक गर्मी के रूप में समस्याएँ उत्पन्न कर रही हैं। चंद्रमा की रोशनी भी अब मलिन और मंद हो गई है।
सतयुग के अनुरूप पर्यावरण को निर्मल और संतुलित बनाने के लिए नए सूर्य और चंद्रमा की स्थापना आवश्यक होगी। भगवान विष्णु अपनी शक्ति से वर्तमान सूर्य और चंद्रमा का नाश कर पुनः उन्हें स्थापित करेंगे। इस कार्य को पूरा करने के लिए सात दिन और सात रात का समय लगेगा।
7 दिन 7 रात का अंधेरे के बाद क्या होगा?
सूर्य की गर्मी झुलसाने वाली नहीं होगी। दिन का तापमान लगभग 25–26 डिग्री रहेगा, जिससे पंखे और एयर कंडीशनर की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। चंद्रमा की किरणें तेज और शांत होंगी, जिससे रात में भी रोशनी रहेगी और स्ट्रीट लाइट की आवश्यकता नहीं होगी।
रक्षा का मार्ग
भविष्य मलिका में वर्णित है कि सतयुग में केवल 64 करोड़ लोग ही प्रवेश कर पाएंगे। ऐसी भयावह स्थिति से स्वयं की रक्षा केवल नीचे दिए गए नियमों का पालन करके ही संभव है।
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मांस, मदिरा और सभी प्रकार के नशा एवं व्यसनों से पूर्ण रूप से मुक्त होना
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नियमित रूप से त्रिकाल संध्या का समयानुसार पालन करना
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श्रीमद्भागवत महापुराण का नित्य पाठ करना
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मन में निरंतर प्रभु माधव के नाम का जप करना
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सत्य, दया, प्रेम, शांति और क्षमा का आचरण अपने जीवन में लाना
उपर्युक्त सभी नियमों में से त्रिकाल संध्या अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। त्रिकाल संध्या पूरे दिन में तीन बार देवताओं और ऋषि-मुनियों द्वारा की जाती थी। हम सौभाग्यशाली हैं कि यह अब सामान्य मानवों के लिए भी सुलभ है।
निष्कर्ष
आज जो डरावनी घटनाएँ हो रही हैं, वे आगे और भी खतरनाक होंगी। भगवान सदा हमारा भला ही चाहते हैं, लेकिन हम अपनी सीमित सोच से उनके कामों में रुकावट डालते हैं। अगर हम अपने इष्ट पर पूरा भरोसा रखें, तो हर परिणाम कल्याणकारी होगा, यह अनुभव दिलाएगा कि प्रभु हर हाल में अपने भक्तों की रक्षा करते हैं।
हमने जो यह दिखावे की दुनिया बनाई है, वह थोड़ी देर की खुशी देती है, लेकिन आगे चलकर यही माया हमारे लिए नुकसानदायक बनती है, जिसमें हम खुद उलझ जाते हैं।
हम सौभाग्यशाली हैं कि हम भगवान के अंतिम अवतार, कल्कि अवतार के प्रकट होने के समय में हैं। चाहे हमने कितनी भी गलतियाँ की हों, अगर सच्चे मन से प्रायश्चित करें और भगवान की शरण में जाएँ, तो वे अवश्य क्षमा करेंगे। भविष्य मालिका ही कलियुग से उद्धार का मार्ग है ।