वर्तमान समय में मौसम, जलवायु और प्रकृति में बड़े बदलाव हो रहे हैं, जिससे सभी प्राणी और मनुष्य संकट का सामना करते दिखाई दे रहे हैं। यह परिवर्तन अत्यंत तेज़ गति से हो रहा है। जैसे जलवायु परिवर्तन, भूकंप, बाढ़, सूनामी, चक्रवात और तापमान में अत्यधिक वृद्धि जैसी घटनाएँ भविष्य मालिका को सत्य सिद्ध कर रही हैं।
प्राकृतिक आपदाओं के पीछे सबसे बड़ा कारण है धरती पर पाप कर्मों का बढ़ना — विशेषकर निर्दोष जीवों की हत्या जैसे अधार्मिक कृत्य। जब पापों का भार असहनीय हो जाता है, तब धरती विचलित हो उठती है और भूकंप, बाढ़, अग्निकांड जैसी विनाशकारी घटनाएँ प्रकट होती हैं। मालिका में बहुत सारी आपदाओं का वर्णन है, इस लेख में कुछ ही शामिल हैं, शेष सभी आपको हमारी वेबसाइट पर मिल जाएँगी।
भविष्य मालिका में प्राकृतिक आपदाओं का वर्णन
महापुरुष श्री अच्युतानंद दास जी ने मालिका ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है कि ऐसे समय में पृथ्वी पर तीन महाभयंकर भूकंप आएँगे। सूनामी की लहरें ज़मीन से एक लाख फ़ीट ऊपर तक उठेंगी, जिनमें कई छोटे-मोटे देश जल में डूब जाएंगे।
अन्य आपदाएँ भी बढ़ेंगी, परंतु प्रभु के सच्चे भक्त सुरक्षित रहेंगे, जबकि अधर्मी विनाश को प्राप्त होंगे। संत श्री अच्युतानंद दास जी द्वारा रचित मालिका ग्रंथ के अनुसार, वर्तमान समय कलियुग के अंत का समय है, और भगवान विष्णु के दसवें अवतार भगवान कल्कि जी का जन्म ओडिशा में पहले ही हो चुका है।
भगवान कल्कि अगले तीन से चार वर्षों में धर्म संस्थापना का कार्य बहुत तीव्र रूप से करेंगे। उस समय अनेक आपदाएँ और रोग-महामारियाँ फैलेंगी, जिनमें भगवान कल्कि दुष्टों का विनाश करेंगे तथा साधु-संतों का उद्धार करेंगे। तत्पश्चात भगवान कल्कि वर्ष 2032 में सत्य युग की पुनःस्थापना करेंगे।
प्राकृतिक आपदाएँ: कल्कि अवतार की लीला
भविष्य मालिका में अच्युतानंद दास जी ने भगवान कल्कि की संहार लीला का वर्णन करते हुए उजागर किया है -
WARNING:
यह सारी सामग्री इस भविष्य मालिका की आधिकारिक (Official) वेबसाइट पर प्रकाशित है और कॉपीराइट द्वारा संरक्षित है। यदि आप वेबसाइट की किसी भी सामग्री का इंटरनेट पर उपयोग करना चाहते हैं, तो कृपया भविष्य मालिका ऑफिशियल वेबसाइट का लिंक अवश्य दें।
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“ काहि जल रूपे मुहि जगत नाशिबी ,
काहि पबन रूपरे सकल ग्रासिबि।
काहि जोगमाया नेई संहार करिबि,
काहि निजे बिश्वरूप धारण करिबि।
काहि मउन ब्रत मु धारण करिबि,
काहि काल रूपे मुहि पापिकु नाशिबि।।”
अर्थात, भगवान कल्कि अनेक रूपों में अधर्म और पाप का विनाश करेंगे। कहीं वे जल रूप में प्रकट होकर संहार करेंगे, कहीं पवन रूप में, तो कहीं अपनी योगमाया के माध्यम से पापियों का अंत करेंगे। कभी वे विश्व रूप धारण कर सृष्टि को चौंका देंगे, तो कहीं मौन व्रत धारण करके अधर्मियों का नाश करेंगे। कई बार वे काल रूप लेकर दुष्टों का सर्वनाश करेंगे।
“हिमालय, एभरेष्ट टलि जे पड़िब,
जेबे एहि धरा परे भूमिकंप हेब।”
अर्थात, श्री अच्युतानंद दास जी ने लगभग 600 वर्ष पूर्व रचित अपनी गुप्त खेड़ा मालिका में हिमालय के एवरेस्ट पर्वत का उल्लेख करते हुए लिखा है कि कलियुग के अंत में भूकंप की तीव्रता इतनी अधिक होगी कि एवरेस्ट पर्वत भी चकनाचूर हो जाएगा।
उस समय केवल भगवान के सच्चे भक्त ही सुरक्षित रहेंगे,जबकि पापियों का सम्पूर्ण विनाश निश्चित होगा। महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने यह भविष्यवाणी भगवान जगन्नाथ जी की प्रेरणा से अत्यंत सटीक रूप में बहुत पहले ही भविष्य मालिका में कर दी थी।
“बर्फ गड रहीछी उत्तर मेरु रे,
ए तरलिव धीरे धीरे सुर्यंक रश्मि रे”
उत्तर ध्रुव पे जो बर्फ पिघल रही है वो सूर्य की प्रखर किरणों के कारण धीरे-धीरे पानी में परिवर्तित होने लगेगी।
“रौद्र तापे जेतेबेले ये पृथ्वी बलिब,
सेतेबेले ए बरफ गड तरलिब”
रौद्र धूप के कारण पृथ्वी तपने लगेगी और बर्फ पिघलने लगेगी।
“बहिब पाणिर छुअ समुद्रंकु जाण,
अटलांटिक बढ़ी जिब कही केते गुण”
बर्फ के पिघलने से जो पानी समुद्र में पहुँचेगा, उसके कारण अटलांटिक महासागर का जल स्तर बढ़ेगा।
“भारत कु छाडी देले आऊ सब देश जिब,
महासागर जल रे डूब मारू थिब”
भारत को छोड़कर अधिकांश देश महासागर में डूबने लगेंगे।
भविष्य मालिका में पहले से वर्णित प्राकृतिक आपदाएँ
29 अक्टूबर 1999 को उड़ीसा में आए चक्रवात का उल्लेख 600 वर्ष पूर्व भविष्य मालिका में किया गया था। महापुरुष अच्युतानंद दास जी ने अपनी गरुड़ गीता में "तिनि नब अंक" (999) वाले वर्ष की ओर संकेत करते हुए लिखा है कि शुक्रवार, पंचमी तिथि को भारत में एक बड़ी आपदा आएगी। महापुरुष ने इस विषय में मन में किसी भी प्रकार का संशय रखने से भी स्पष्ट रूप से मना किया है — और वह भविष्यवाणी पूर्णतः सत्य सिद्ध हुई।
शुक्रवार, 29 अक्टूबर 1999 को 260 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से एक महाचक्रवात — जिसे ‘पारादीप साइक्लोन’ के नाम से भी जाना जाता है — ओडिशा से टकराया, जिससे अत्यधिक क्षति पहुँची। यह चक्रवात सन् 1971 के बाद भारत का सबसे घातक तूफान साबित हुआ।
सरकारी आकलनों के अनुसार, इस महाविनाशकारी चक्रवात में लगभग 10,000 लोगों की जान गई। इस त्रासदी इतिहास में 'ब्लैक फ्राइडे' के नाम से दर्ज है। इस महाचक्रवात से करीब 1.5 करोड़ लोग प्रभावित हुए। 15 लाख से ज़्यादा लोग अपने घरों से बेघर हो गए। लाखों घर पूरी तरह नष्ट हो गए, और असंख्य बुनियादी ढाँचे तबाह हो गए। लगभग 5 लाख मवेशियों की भी मृत्यु हुई और खेतों की बड़ी ज़मीनें पानी में डूब गईं।
अग्नि प्रलय
“चउदिगे निआ काहु दग्धि ए धरणी,
ओदा कंचा न मानिब सबु खाए अग्नि।
अग्निर करालरूप जीवात्मा देखिब,
हां हां होई तार प्राण छाडिजिब।”
अर्थात, चारों दिशाओं में अग्नि का तांडव देखा जाएगा। धरती तपेगी, जलेगी और अनेक लोगों की मृत्यु होगी। धन-संपत्ति जलकर राख हो जाएगी। लोग अग्नि का भयानक रूप अपनी आँखों से देखेंगे। इन घटनाओं की तीव्रता अलग-अलग स्थानों पर अलग होगी – कहीं कम तो कहीं बहुत अधिक।
हाल ही में कैलिफोर्निया के लॉस एंजिलिस शहर में अग्नि का रौद्र रूप देखने को मिला, जिसमें कई घर, इमारतें और धन-संपत्ति जलकर नष्ट हो गईं। तुर्की के एक स्की रिसोर्ट होटल में भी अग्नि का भयावह दृश्य सामने आया, जिसमें छियासठ लोगों की मृत्यु हो गई। ये सभी घटनाएँ भविष्य मालिका में लिखे गए श्लोकों को सत्य प्रमाणित करती हैं।
निष्कर्ष
भविष्य मालिका ग्रंथ में वर्णित अनेक प्राकृतिक आपदाएँ अब तक घटित हो चुकी हैं, जिनका संपूर्ण वर्णन कर पाना भी संभव नहीं है। पाप कर्मों की अत्यधिक वृद्धि हो चुकी है और वर्ष 2032 में सत्य युग का आरंभ निश्चित है। कलियुग के अंत में सभी पापियों का विनाश होगा, और केवल सच्चे भक्त ही सत्य युग में प्रवेश कर सकेंगे।
सत्य युग में वही लोग प्रवेश पाएँगे, जो प्रतिदिन त्रिसंध्या करेंगे, भागवत महापुराण का पाठ करेंगे और नित्य माधव नाम का जप करेंगे। जो लोग सत्य, प्रेम, दया, क्षमा और शांति को अपनाएँगे, वे ही सत्य युग में प्रवेश के अधिकारी होंगे।