एक समय था, जब मैं हर छोटी-बड़ी बात के लिए अपने पति पर पूरी तरह निर्भर थी।🤐 घर से बाहर निकलना, कोई नया स्थान खोजना, या किसी भी पहल की जिम्मेदारी लेना मेरे लिए असंभव - सा लगता था।😓
डर, संकोच और आत्मविश्वास की कमी
ने मुझे अपने ही जीवन से अलग-सा कर दिया था।😞
मुझे लगता था, “मैं अकेले नहीं कर सकती। बिना सहारे के मैं क्या कर पाऊँगी?”😞😞
लेकिन जब मैंने सत्संग धारा से जुड़ना शुरू किया🫴,
प्रेम और श्रद्धा से त्रिसंध्या को अपनाया🙌,
और श्रिमद्भागवत महापुराण के दिव्य ज्ञान में डूबने लगी👼
तो मेरे भीतर कोई नया दीपक जल उठा। 🪔
श्रीहरि की कथाओं ने मेरी आत्मा को झकझोर दिया...
संतों के वचनों ने मेरे भीतर छिपी शक्ति को जगा दिया...
प्रभु की कृपा से मेरा हृदय नया साहस और विश्वास से भर उठा।😊
मैंने पहली बार अकेले यात्रा की
जिसे पहले मैं सोच भी नहीं सकती थी।
नई जगहों को देखा, रास्तों को खुद चुना,
और हर मोड़ पर एक अदृश्य हाथ को महसूस किया,
जो मेरा मार्गदर्शन कर रहा था।🥹
ऐसे कई क्षण आए जब लगा
मैं अकेली नहीं हूँ।
कोई है जो हर कदम पर साथ है
वह हैं मेरे प्रभु, माधव श्रीहरि विष्णु।🫣🥺🥹😌
कभी अजनबी जगह में अचानक सहज मार्गदर्शन मिलना,
कभी अनजाने डर का मिट जाना,
कभी किसी संकट में मन में शांति उतर आना
ये सब प्रभु की उपस्थिति ही तो है।
अब मैं निर्भर नहीं,
अब मैं आत्मनिर्भर हूँ — परमात्मा पर।
त्रिसंध्या ने मेरे जीवन को पूरी तरह बदल दिया है।
अब मैं दिन की शुरुआत जल्दी उठकर करती हूँ,
और यह अनुशासन मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है।😌
जहाँ पहले मैं खाली समय में टीवी सीरियल्स देखकर
समय व्यर्थ करती थी और उन्हीं में खोई रहती थी, अब मुझे उन सबमें कोई रुचि नहीं बची है।
अब मेरा मन सत्संग में लगता है,
प्रभु के चरणों का स्मरण ही मेरा सच्चा आनंद है।
मैं हर दिन, हर क्षण उस परम सत्ता से जुड़ी हुई महसूस करती हूँ।
अब मैं पहल करती हूँ,🔥
अब मैं साहसी हूँ,💪
अब मैं जीवित हूँ — प्रभु की कृपा और उपस्थिति में।🙇♂️🙇♂️
- Jyoti Shirahatti