
बहुत चमत्कारिक अनुभव! प्रभुजी ने हमें समुद्र में डूबने से बचाया
सभी मां भाइयों को कोटि कोटि प्रणाम🙏🙏 हमारे साथ एक बहुत बड़ी दिव्य घटना घटी थी जो किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं था। प्रत्यक्ष प्रभुजी की कृपा का अहसास हुआ था🥺🙇♂️ कि किस प्रकार महाप्रभु ने हमें समुद्र🌊 में डूब जाने के बाद भी बचा लिया।🙇♂️
हम और हमारे साथ 2 भाई जगन्नाथ पूरी मंदिर में दर्शन के लिए गए थे। वहां दर्शन से पूर्व स्नान का भी महत्व है तो हम समुद्र के तट पर स्नान करने पहुंचे। वहां पहले से कई लोग बड़े आनंद से स्नान कर रहे थे। हम तीनों ने जीवन में पहली बार समुद्र देखा था, समुद्र की विशालता और लहरों को देख हम बड़े हैरान थे😧।
हमने स्नान आरंभ किया। पानी बड़ा नमकीन लग रहा था😄 हम बड़ी प्रसन्नता से तैरना🏊, पानी पर लेट कर मृत की तरह एक्टिंग करना😅 और कई प्रकार के खेल करते हुए स्नान कर रहे थे। हम थोड़ा कम कर रहे थे, कुछ शांत भी थे पर वो दोनों तो अपने उमंग में थे।
उन दोनों में से एक शरारती भाई थे, छोटे थे हमसे, 14 वर्ष के पर बहुत निर्भयता के साथ वो समुद्र में स्नान कर रहे थे। वो हमारे में से सबसे बड़े भईया को ले के समुद्र में आगे बढ़ गए, बड़े भईया थोड़े भोले थे इसलिए उन्होंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। वहां बड़ी बड़ी लहरें🌊 आ रही थीं। वहां वे खड़े होकर प्रतीक्षा करते थे लहरों के आने का, फिर लहर आते ही बड़े आनंद से हंसते और स्नान करते।
वे दोनों और आगे बढ़ने लगे उससे और बड़ी बड़ी लहरों का आनंद लेने के लिए। हम उतनी दूर नहीं थे, हमारी उस छोटे भाई पर नज़र पड़ी, वो बड़े भईया का हाथ पकड़ कर और आगे ले के जा रहे थे बड़ी निर्भयता के साथ।
हमने दूर से ही चिल्लाया "आगे मत जाओ, आगे मत जाओ"। पर वो तो उमंग में थे, हमारी बात सुनकर हंसके इग्नोर कर दिया उन छोटे भाई ने और बड़े भाई का हाथ पकड़ के आगे बढ़ने लगे। हमने कई बार बोला पर उन्होंने ध्यान नहीं दिया। हमारे मन में आया कि यदि उन छोटे भाई को कुछ हो गया तो उनके माता पिता को हम क्या उत्तर देंगे, क्योंकि वो छोटे भाई हमारे सगे भाई नहीं थे, उनके माता पिता ने हमारी जिम्मेवारी पर उन्हें साथ भेजा था। हमने उन्हें फिर बोला और बोलते बोलते हम भी आगे बढ़ने लगे। हमने उन्हें डांटा फिर भी वो नहीं सुने। लहरें बहुत बड़ी बड़ी आ रही थीं, हम पहले से ही उन्हें ऐसे देखकर घबराए हुए थे। वहां हमसे भी बहुत बड़ी गलती हो गई.... कोई और रास्ता नहीं दिखाई दिया तो हमने भगवान की कसम उन्हें दे दी। ये सुनने के बाद वो भाई थोड़े रुके, थोड़ा सोचा पर फिर उसे भी नज़रंदाज़ कर दिया।
तब तक हम भी उनके पास पहुंच चुके थे। हमने वहां पहुंचते ही उन्हें बहुत ज़ोर से डांटा कि "तुमने भगवान के कसम की भी चिंता नहीं की"। उसी समय एक सबसे बड़ी लहर🌊 आ रही थी, जो सचमें सबसे बड़ी.. बहुत बड़ी🌊 थी। पर अब और तो कुछ कर नहीं सकते थे, हम तीनों ने एक दूसरे का हाथ अच्छे से पकड़ लिया, हम मन में माधव माधव नाम जप रहे थे।
इतने में हमसे दुगुने ऊंचाई की उस लहर ने हम तीनों को पूरी तरह से ढक लिया। हम तीनों पूरी तरह से डूब गए। कुछ देर तक एक दूसरे का हाथ पकड़े रहे पर बाद में आखिरकार हाथ छूट ही गया सबका। हम तीनों अलग डूब रहे थे, पानी में सिर पैर ऊपर नीचे सब उल्टा सीधा शरीर घूम रहा था। उस समय हम अपना वो मृत्युकालीन अनुभव बताते हैं, हमारा दम घुटने लग गया था। हमें पूरा अहसास हो रहा था कि अब तो मृत्यु आ गई है, मौत के मुंह में हैं हम। दिमाग पूरा ब्लैंक हो गया था। और कुछ नहीं दिख रहा था। बस मौत ही दिखाई दे रही थी। पूरा आभास हो रहा था कि अब तो मरना तय है। पर उसी समय क्योंकि हमें माधव नाम जपते हुए और त्रिसंध्या धारा का पालन करते हुए लगभग 10 महीने हो चुके थे तो तुरंत प्रभु का स्मरण हो आया🥺 । उस मौत के मुंह में पहुंचकर जैसे ही प्रभु की याद आई, हमने उनसे मन ही मन बस ये कहा - " प्रभु मैंने गलती तो की है, पर अब... बस आप पर ही है सब। आप चाहो तो बचा लो या डूबने दो, मरने दो। " और मन में संपूर्ण समर्पण का भाव आया🙇♂️🙇♂️
जैसे ही हमने ये कहा। उसी क्षण, तुरंत उसी क्षण एक अजनबी व्यक्ति ने हमारा हाथ पकड़ के हमें ऊपर खींच लिया। उस समय एक और चमत्कार हुआ, जब हम निकल जाने के कुछ क्षण पहले डूबे हुए थे और प्रभु से इस प्रकार कह रहे थे। तब बहुत ज्यादा पानी था। पर उसी स्थान पर जब उन व्यक्ति ने हमें बचा लिया तो हमारे घुटने से भी नीचे पानी हो गया। एक ही समय पर इतने सारे चमत्कारों ने हमें हैरान कर दिया। और क्योंकि अभी मृत्यु के मुख से बाहर आए थे तो हमारी मन की अवस्था बहुत अलग थी। हम बस एक टक खड़े हो कर ऊपर की ओर देख रहे थे। और प्रभु का धन्यवाद कर रहे थे। हमें मन ही मन रोना आ रहा था कि हम पर भी कैसे उन्होंने इतनी बड़ी कृपा कर दी😭😭।
भगवान की कसम देने का और उसे ना मानने का दंड हम तीनों को बहुत अच्छे से मिल गया था। उसके बाद ही हमने सोच लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, भगवान की कसम और किसी भी प्रकार का कोई कसम कभी किसी को नहीं देंगे। ये इतनी बड़ी घटना केवल हमारा ही अनुभव नहीं है, त्रिसंध्या धारा का पालन करने वाले कई मां भाइयों (माधव परिवार में सभी नारियों को "माँ" और पुरुषों को "भाई" कहते हैं) के ऐसे ही या इससे भी बड़े बड़े अनुभव हैं। ये त्रिसंध्या, माधव नाम जप और नित्य श्रीमद् भागवत महापुराण पठन का ही प्रभाव है। केवल त्रिसंध्या धारा का पालन ही भविष्य मालिका में दी गई मृत संजीवनी है जिससे इस कलियुग के अंतिम कालखंड में केवल इतना करने से ही प्रभु की कृपा प्राप्त हो जाती है🙇♂️🙇♂️
जय श्री माधव 🙏 कोटि कोटि प्रणाम 🙏🙏
- Mohit Singh