
कलयुग में कल्कि भगवान जिस कली पुरुष का अंत करेंगे वह अभी कहां है?
'कलि पुरुष' कोई एकअसुर या व्यक्तिगत दैत्य नहीं है। वह एक युग का प्रतीक है-एक ऐसा आधिदैविक रूप, जो स्वयं कुछ नहीं करता, बल्कि उन विकारों का प्रतिनिधित्व करता है जो मनुष्य के भीतर छिपे होते हैं। काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार-ये ही वे दोष हैं जिनके अधीन होकर जब कोई व्यक्ति अधर्म करता है, दूसरों को कष्ट देता है और उसी में सुख का अनुभव करता है, तब वही वास्तव में 'कलि पुरुष' कहलाता है।
जो व्यक्ति शास्त्रों और वेदों के अनुसार जीवन नहीं जीते, धर्म का अनुसरण नही करते, जो सृष्टि के संतुलन को बिगाडते हैं, जो परायों को पीड़ा पहुँचा कर स्वयं को श्रेष्ठ मानते हैं-वही 'म्लेच्छ 'हैं, और वही 'कलि पुरुष' के रूप में समझे जाते हैं।
प्रभु कल्कि का अवतार इसी 'कलि पुरुष' और ऐसे अधार्मिक तत्वों के विनाश के लिए होगा। वे धर्मनिष्ठ, सत्यप्रिय, करुणामय हृदय वाले सज्जनों की रक्षा करेंगे और सत्य युग की पुनर्स्थापना करेंगे।