श्रीमद् भागवत महापुराण के अनुसार कलियुग का अंत तथा सत्ययुग की शुरुआत कब होगी?

यदा चन्द्रश्च सूर्यश्च तथा तिष्यबृहस्पती ।
एकराशौ समेष्यन्ति भविष्यति तदा कृतम् ॥- श्रीमद् भागवत महापुराण (12.2.24)
जिस समय चंद्रमा सूर्य और बृहस्पति एक ही समय, एक ही साथ पुष्य नक्षत्र के प्रथम पल में प्रवेश करके एक राशि पर आएंगे उसी समय सत्ययुग का प्रारंभ होगा।
ज्योतिषी गणना के अनुसार इस कलियुग के 5127 वर्ष के काल में सप्त ऋषि ने पुष्य नक्षत्र में दो बार विचरण किया लेकिन यह खगोलीय घटना 1 अगस्त 1943 को ही घटित हुई है। अतः यह स्पष्ट होता है की 1 अगस्त 1943 से सत्ययुग युग की शुरुआत हो चुकी है।
जैसे किसी भी निर्माण को बनाने में अधिक समय लगा हो तो उसे ध्वस्त करने में भी कुछ समय जरुर लगता है, इसी प्रकार इस कलयुग को बनने में 5000 वर्ष का समय लगा और इसे ध्वस्त होने में भी 70-80 साल का समय लग सकता है।