🙏 जय श्री माधव 🙏

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सत्ययुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग का अंत क्यों होता है?

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सत्ययुग में मनुष्य अपने तपोबल का दुरुपयोग तथा तपोवल से श्राप देने के कारण सत्ययुग अपनी संपूर्ण आयु का भोग नहीं कर पाता है।

त्रेतायुग में मनुष्य कामना वासना एवं ब्राह्मणों तथा ऋषियों को प्रताड़ित करने के कारण युग का अंत हो जाता है।

द्वापर युग में धन के लालच तथा जुवा, कलह, नारी का सम्मान ना होना आदि की अधिकता के कारण युगांत हो जाता है।

कलियुग, जीव हत्या तथा बहुत से अन्य जघन्य पापों की वजह से अपनी संपूर्ण आयु भोग नहीं कर पाता है।

जगन्नाथ संस्कृति, भविष्य मालिका एवं विभिन्न सनातन शास्त्रों के अनुसार कलियुग का अंत हो चुका है तथा 2032 से सत्ययुग की शुरुआत होगी।
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