सनातन धर्म क्या है? सनातन धर्म कितना पुराना है? सनातन धर्म किसने बनाया?

भगवान स्पष्ट रूप से कहते हैं यह सनातन धर्म मेरा ही रूप है।
'सनातन' का शाब्दिक अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', यानी जिसका न आदि है न अन्त।
'धर्म' का शाब्दिक अर्थ है - धारण करना अर्थात उस वस्तु व्यक्ति विशेष के गुण की पहचान करना।
जैसे आकाश सनातन (शाश्वत) है, उसका धर्म अथवा गुण शब्द है।
वायु सनातन (शाश्वत) है, उसका धर्म अथवा गुण स्पर्श है।
अग्नि सनातन (शाश्वत) है, उसका धर्म अथवा गुण रूप है।
जल सनातन (शाश्वत) है, उसका धर्म अथवा गुण रस है।
पृथ्वी सनातन (शाश्वत) है, उसका धर्म अथवा गुण गंध है।
इसी प्रकार सभी मनुष्य सनातन (शाश्वत) हैं, उनका धर्म अथवा गुण है चेतना और सेवा
मनुष्य को चेतन रहते हुए सभी शास्वत, भौतिक, अभौतिक, ब्रह्मांड को सम भाव से देखना भेद की दृष्टि से नहीं और सत्य, प्रेम, दया, क्षमा, मैत्री धारण करना और त्रिसंध्या करते हुए सदाचार जीवन जीना यही सनातन धर्म का मूल तत्व है।
जैसे हवा, पानी, आकास, ईंधन(अग्नि) पृथ्वी सनातन है उसकी दृष्टि में कोई छोटा बड़ा ऊँचा नीचा या जाती धर्म भेद नहीं है। वह सभी प्राणियों के लिए समान रूप से अपना गुण अथवा धर्म देती है।
इसी प्रकार सनातन धर्म का अर्थ ये है कि हमेसा सभी के लिए समान गुण में स्थित रहना अथवा सभी जीव को आत्मा रूप देखना और समान व्यवहार करना।