
जो व्यक्ति केवल राम नाम का जप करते है, क्या वे लोग सतयुग में जा पाएंगे ?
कृपया हिंदी में और सही लिखें, अधिकतम सीमा - 300 अक्षर
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16 Jun 2025
आप भगवान के किसी भी नाम का जप कर सकते है लेकिन जैसा कि भविष्य मालिका ग्रंथ में लिखा हुआ है कि सतयुग(अनंत युग) में प्रवेश पाने के लिए माधव नाम ही जपना आवश्यक है तभी सतयुग में प्रवेश मिल पाएगा ।
शास्त्रों में माँ भगवती और श्रीकृष्ण के संवाद का उल्लेख मिलता है। द्वापर युग में, जब भगवान धर्म की रक्षा के लिए धरती पर अवतरित हुए, तब माता योगमाया की इच्छा थी कि उनका नामकरण "माधव" किया जाए, किंतु कृष्ण रखा गया। जब माता ने इस विषय पर भगवान से प्रश्न किया, तब उन्होंने उत्तर दिया कि जब वे कलियुग के अंत में कल्कि अवतार के रूप में प्रकट होंगे, तब वे "माधव" कहलाएंगे और वही उनकी पहचान होगी तथा वे माधव नाम से समस्त जीवों का उद्धार भी करेंगे।
भविष्य मालिका के एक श्लोक में वर्णन है कि -
“अष्ट बाहु रे जे अष्ट आयुध,कलि शेषे जनम हेबे माधब।माधब नाम कु जेहुं जपइ,जनम मरण त ताहार नाहिं”।- भविष्य मालिका
भगवान श्री कृष्ण के नित्य पंचसखा अपने भविष्य मालिका ग्रंथ के श्लोक में लिखते हैं कि भगवान महाविष्णु आठ बाहुओं में, आठ आयुधों को पकड़ धरती पर 'माधव' नाम से कल्कि अवतार धारण करेंगे कलियुग के अंत में यानी वर्तमान समय में। आगे ऐसा लिखते हैं कि जो भी “माधव” का निरंतर जप करेंगे कलियुग और सत्ययुग के वर्तमान संधिकाल में वे जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति प्राप्त कर परम पद पाएंगे।
भविष्य मालिका के अनुसार “माधव” ही ब्रह्म एकाक्षर मंत्र है ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, मूल प्रकृति 'मा' (राधा) के स्वामी (धव) ही "माधव" कहलाते हैं। अर्थात माधव में ही राधा और कृष्ण दोनों सम्मिलित है |
परम पूजनीय पंडित काशीनाथ मिश्र जी जिन्होंने मालिका का अनेक स्थानों पर प्रचार किया है, वह “माधव” एकाक्षर मंत्र का प्रचार कर रहें है और इसमें अनंत कोटि ब्रह्माण्ड की शक्ति समाई हुई है।
"माधव" जप करने से मिलने वाले दिव्य लाभ इस प्रकार हैं –
- आध्यात्मिक शुद्धि
- मानसिक शांति
- रक्षा कवच
- रोगों से राहत
“माधव” जप किसी भी प्रकार की भयंकर आपदाओं के प्रभाव को कम कर सकता है, क्योंकि यह दिव्य ऊर्जा को संतुलित करता है और व्यक्ति के चारों ओर एक सुरक्षा कवच बनाता है, जिससे वह किसी भी प्रकार की भयंकर आपदाओं से सुरक्षित रहता है।
निष्कर्ष-
माधव नाम का जप करने के लिए कोई भी नियम नहीं हैं, यह कहीं भी किसी भी स्थान पर किसी भी अवस्था में लिया जा सकता है । यदि मनुष्य माधव नाम को खाते या सोते समय भी स्मरण करता है, तो उस पर माधव प्रभु के साथ - साथ समस्त देवी-देवताओं की उसको विशेष कृपा प्राप्त होती है।
इसके अतिरिक्त, यदि त्रिकाल संध्या (सुबह, दोपहर, शाम) और श्रीमद्भागवत महापुराण का नियमित पाठ किया जाए, तो इसका प्रभाव और भी अधिक बढ़ जाता है।