जब भविष्य पुराण था तो भविष्य मालिका की आवश्यकता क्यों पड़ी?

समय-समय पर भगवान के निर्देश से विभिन्न धर्म ग्रंथो की रचना मानव सभ्यता के कल्याण के लिए की जाती है।
तथा कुछ धर्म ग्रंथो में संशोधन भी किया जाता है। यह केवल श्री भगवान जी के निर्देश से विशेष समय पर, तथा श्री भगवान जी के द्वारा चिन्हित विशेष व्यक्तित्व के द्वारा ही किया जाता है।
भविष्य पुराण में कलियुग तक की स्थिति का वर्णन किया गया है।
भविष्य मालिका पुराण में कलियुग का अंत, धर्म संस्थापना, भगवान कल्कि का आविर्भाव तथा अनंत युग तक का विस्तृत वर्णन किया गया है। यह सनातन धर्म का आखिरी ग्रंथ है।
इस श्रृंखला में 185000 ग्रंथों का समूह है। इन ग्रंथ समूहों में भक्तों के चरित्र का वर्णन, राजाओं की वंशावली, भविष्य का विस्तृत वर्णन, किन पाप कर्मों की वजह से कलियुग का अंत हुआ, युग संध्या, धर्म संस्थापना, भगवान कल्कि के प्राकट्य, मानव सभ्यता की सुरक्षा तथा उद्धार के विषय में विस्तृत वर्णन किया गया है।
भविष्य मालिका पुराण ही एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जिसमें भगवान महाविष्णु के दसवें अवतार भगवान श्री कल्कि जी के विषय में संक्षिप्त में वर्णन किया गया है।
भगवान का अवतार कब होगा, कहां होगा, तथा संभल ग्राम कहां है? भगवान के माता-पिता कौन होंगे? आदि , तथा धर्म संस्थापना किस प्रकार होगी इस विषय में केवल भविष्य मालिका पुराण में ही वर्णन मिलता है। यह जगन्नाथ संस्कृति का परम तत्व है।
भविष्य पुराण या अन्य किसी भी धर्म ग्रंथों में भगवान श्री महाविष्णु जी के दशम अवतार श्री कल्कि भगवान जी का इतना विस्तृत वर्णन नहीं किया गया है।