
एक एकाक्षरे एकइ गोपी, बेनिक्षरठारे कृष्ण मूरति ।बेनिक्षर एक नामरे राधा, उर्त्ब्नामटि श्रीकृष्ण शरधा ।- भविष्य मालिका
अर्थात, एकाक्षर का एक भाग गोपी है तो दूसरा कृष्ण है, एक भाग राधा है तो दूसरा कृष्ण है ।
तेणु दुइ एक रूप हुअन्ति, एकभाब अटे युगळ मूर्ति।येउँ राध्का श्रीकृष्ण साङ्गरे, भोळ होइथाइ सबुकाळरे ।- भविष्य मालिका
अर्थात, ये दो रूप ही एक होके युगलरूप में रहते है, यही राधा हमेशा कृष्ण के साथ एकरूप होके रहती है ।
सेहि राधाकृष्ण पाइबा पाइँ,नारी रूप हुए भकत देही ।आत्नाकु भकत नारी रूपरे, समर्पण करे कृष्ण पय़रे |सेहि मन्त्र गोटि नित्य़ भजिलि, नित्य़ राधाकृष्ण सेबा पाइलि ।- कल्पटीका,पृष्ठ 82
अर्थात, यही युगल रूप राधाकृष्ण को प्राप्त करने के लिए प्रभु के परम भक्त नारी भाव ग्रहण करते है और अपने आत्मा को एक नारी के भाव से भगवान श्री कृष्ण के चरणों में समर्पित करते है, इसी एकाक्षर मंत्र का नित्य भजन करके राधाकृष्ण की नित्य सेवा भक्त प्राप्त करते है ।
The name Madhav is not just Krishna’s name but it is the union of two divine tattvas: The name Madhav is sacred because it’s complete— “Ma” (Radha’s Shakti) + “Dhav” (Krishna’s Purush). Chant it, and you invoke both Love & God. Radha didn’t call Krishna by just any name—she called him Madhav. Every syllable echoed her love, surrender, and eternal bond. When Radha uttered Madhav, the entire creation paused to listen. So when you chant Madhav, you are chanting both Radha + Krishna. 🙏🏼